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परिजनों का चीत्कार देख गांव की महिलाओं की आंखें छलकीं

मनेर. शुक्रवार को शिवदयाल टोला गांव के नजदीक गंगा घाट पर दाह संस्कार में नहाने के दौरान डूबे दोनों युवकों प्रेम व रणवीर के शवों को देख कर रो रहे घर के लोगों देख कर गांव की महिलाओं की आंखे छलक उठीं. मृतक रणवीर के पिता के रामलखन सिंह बेटे के शव दूर से ही […]

मनेर. शुक्रवार को शिवदयाल टोला गांव के नजदीक गंगा घाट पर दाह संस्कार में नहाने के दौरान डूबे दोनों युवकों प्रेम व रणवीर के शवों को देख कर रो रहे घर के लोगों देख कर गांव की महिलाओं की आंखे छलक उठीं. मृतक रणवीर के पिता के रामलखन सिंह बेटे के शव दूर से ही देख कर अपने आपको रोक नहीं सके और चीखते हुए रोने लगे.
रोते हुये अपने दिल का हाल बयां करते हुए कहने लगे कि अब केकरा सहारा जियम हो बेटवा. हमरा के पता रहित त हम मंजिलवा में नाही भेजती हो. बेटवा हमर मत रूसा कुछ बोला और कहते हुए बेहोश हो जाते. वहीं, मृतक प्रेम की मां आशा देवी रोते हुए अपने आपको कोसते हुए कहती रहीं कि भगवान बेटवा के बदला हमरा उठा लेता हो. फिर मृत बेटा को कहती की उठ बेटा फिर रोने लगती. पिता शिवनाथ सिंह एक कोने में बैठकर रोते रहे. गांव के लोग उन्हें समझाने का प्रयास करते रहे.
ग्रामीणों ने बताया कि अगर स्थानीय प्रशासन के द्वारा गंगा में एसडीआरएफया एनडीआरएफ की टीम गश्त कर रही होती तो दोनों युवक जीवित रहते. मनेर सीओ अंजू सिंह ने बताया कि फिलहाल गंगा घाट पर स्थायी बचाव व राहत कार्य की व्यवस्था नहीं है. छठ को लेकर संगम, महावीर टोला, रामपुर आदि घाटों पर एनडीआरएफ की तीन टीमें नियुक्त थीं.

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