गौरव की बात : विरासत को दिया नया आशियाना

दक्षिण-पूर्वी एशिया के स्थापत्य का संगम बना बिहार म्यूजियम पटना : जिस देश या राज्य की अपनी समृद्ध विरासत हो, जहां की कला और इतिहास का परचम कभी बुलंद हुआ करता हो. वर्तमान में उन्हीं जगहों पर एक विकसित व समृद्ध म्यूजियम देखने को मिल रहा है. इसके अलावा किसी भी जगह का संग्रहालय न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2018 9:07 AM
दक्षिण-पूर्वी एशिया के स्थापत्य का संगम बना बिहार म्यूजियम
पटना : जिस देश या राज्य की अपनी समृद्ध विरासत हो, जहां की कला और इतिहास का परचम कभी बुलंद हुआ करता हो. वर्तमान में उन्हीं जगहों पर एक विकसित व समृद्ध म्यूजियम देखने को मिल रहा है. इसके अलावा किसी भी जगह का संग्रहालय न केवल इतिहास दर्शन का काम करता है, वरन वहां के लिए एक जानकारी युक्त मनोरंजन का साधन भी होता है.
इसी तरह बिहार म्यूजियम में न केवल राज्य बल्कि देश के गौरवशाली इतिहास का दर्शन किया जा सकता है. बिहार म्यूजियम आज के आधुनिक समय में एक बेहतर वास्तुशिल्प का नमूना भी है, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के स्थापत्य का संगम है. ये जापानी और भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है. इसका निर्माण वर्ष 2013 में शुरू किया गया था, जो बीते वर्ष पूरा किया गया था. निर्माण में लगभग 517 करोड़ रुपये खर्च की गयी थी. वर्तमान में यह बिहार के समृद्ध विरासत की पहचान बन चुका है.
म्यूजियम में कई दीर्घाएं
म्यूजियम में कई दीर्घा बनायी गयी है. इसमें बाल दीर्घा के अलावा बिहार के विभूतियों पर आधारित बिहारी डायसोपोरा, गांधी जी पर आधारित टेंपररी गैलरी भी हैं. बाल दीर्घा में बनी कलाकृतियां न केवल बच्चों को आकर्षित करती हैं, बल्कि इससे उनका ज्ञानवर्धन भी होता है. बाल दीर्घा में जानवरों की एकदम सजीव दिखने वाली कलाकृतियाें को रखा गया है.
इसके अलावा महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाये गये विभिन्न दस्तावेजों को भी इस म्यूजियम में देखा जा सकता है. म्यूजियम का हर दीर्घा अपने अाप में अनूठा है और इसमें तीन हजार से भी ज्यादा कलाकृतियों को रखा गया है. म्यूजियम में छात्र और एक्सपर्ट अध्ययन और रिसर्च भी कर सकेंगे.

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