बिहार : जल प्रदूषण को रोकने में मदद करेगी जैविक खेती, ये होंगे लाभ

पटना : जैविक खेती को लेकर हर ओर बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ा गया है. वजह भी खास है. जैविक खेती को अगर जल्दी ही नहीं अपनाया गया, तो आनेवाला दिनों में धरती की कोख बंजर हो जायेगी और फसल उगाना मुश्किल होगा. विभिन्न तरह के प्रदूषण से अन्न उत्पादन के साथ ही मानव जीवन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2018 6:16 AM
पटना : जैविक खेती को लेकर हर ओर बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ा गया है. वजह भी खास है. जैविक खेती को अगर जल्दी ही नहीं अपनाया गया, तो आनेवाला दिनों में धरती की कोख बंजर हो जायेगी और फसल उगाना मुश्किल होगा.
विभिन्न तरह के प्रदूषण से अन्न उत्पादन के साथ ही मानव जीवन भी खतरे में पड़ जायेगा. जैविक खेती से जल प्रदूषण को रोका जा सकता है, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकरार रखा जा सकता है.
उधर, जैविक प्रमाणीकरण जैविक खाद व अन्य जैविक कृषि उत्पादों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया है. इसके तहत मान्यता प्राप्त जैविक प्रमाणीकरण संस्थाओं द्वारा जैविक उत्पाद के विभिन्न चरणों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों पर निरीक्षण करने के उपरांत ही एकल व सामूहिक कृषकों को स्कोप सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. जैविक उत्पाद के जैविक होने की मान्यता तभी है, जब वह जैविक खेती के निर्धारित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो.
हरित क्रांति की कीमत चुकानी पड़ी
साठ के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति के बाद से ही पूरी तस्वीर बदल गयी. देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर तो हो गया था, परंतु दूसरी बीमारी ने जकड़ लिया था. हरित क्रांति के माध्यम से किसानों को उन्नत तकनीक, बीज और रासायनिक खाद उपलब्ध कराया गया था. फिर देखते ही देखते हरित क्रांति ने खाद्य उत्पादन के मामले में भारत को आगे कर दिया. लेकिन देश को इस हरित क्रांति की कीमत खेती में कीटनाशकों और खाद के रूप में चुकाना पड़ा. इसका असर आमजन के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.
पर्यावरण बचाना है तो करें पहल
किसानों की मानें, तो जैविक खेती उनके अपने और अपने परिवार के लिए तो बेहतर है. इसके माध्यम से वह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा काम कर रहे हैं. अब जैविक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से उनकी खेती की लागत करीब 80% कम हो गयी है व उत्पादन पहले से काफी बढ़ गया है.
ये होंगे लाभ
जैविक खेती का पहला फायदा यह होगा कि किसान की खेती में लागत पहले के मुकाबले 80 फीसदी कम हो जायेगी. जैविक खेती पर्यावरण के लिए भी बेहतरीन है और इससे जल और वायु प्रदूषण से बचाव होता है.
जैविक खाद की वजह से खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में बहुत सुधार आता है. उत्पादन पहले से ज्यादा स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित हुआ.

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