बीमारी फैला रहे धूलकण

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया आगाह पटना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, पीएम 2.5 की मात्र मानक 40 माइक्रोग्राम की तुलना में 149 पटना : वायु प्रदूषण में पटना का देश में दूसरा स्थान है. रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ ने जारी किया है. डब्ल्यूएचओ ने हवा में घातक सूक्ष्म कणों की मौजूदगी को इनसान की सेहत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2014 3:29 AM

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया आगाह

पटना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, पीएम 2.5 की मात्र मानक 40 माइक्रोग्राम की तुलना में 149

पटना : वायु प्रदूषण में पटना का देश में दूसरा स्थान है. रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ ने जारी किया है. डब्ल्यूएचओ ने हवा में घातक सूक्ष्म कणों की मौजूदगी को इनसान की सेहत के लिए सबसे खतरनाक बताया है. 2012 में वायु प्रदूषण से हुई बीमारियों के कारण दुनिया में करीब 37 लाख लोगों की असमय मौत हुई. डब्ल्यूएचओ ने पटना में हर एक क्यूबिक मीटर हवा में पीएम (हवा में मौजूद सूक्ष्म कण) 2.5 की मौजूदगी का सालाना औसत 149 माइक्रोग्राम बताया है.

भारतीय प्रदूषण मानकों के मुताबिक एक क्यूबिक हवा में पीएम 2.5 की मात्र का सालाना औसत 40 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इस लिहाज से पटना की हवा में पीएम 2.5 की मात्र साढ़े तीन गुना से ज्यादा है. विशेषज्ञ इसे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्थिति मान रहे हैं.

दिल्ली सबसे प्रदूषित

दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है. वहां हर एक क्यूबिक मीटर हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी का सालाना औसत 153 माइक्रोग्राम है. चिकित्सक भी पटना में सांस के मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह वायु प्रदूषण ही मान रहे हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हवा में घातक सूक्ष्म कणों की मौजूदगी से फेफड़ा संबंधित बीमारी बढ़ गयी है. 2013 में डब्ल्यूएचओ की अंतरराष्ट्रीय कैंसर रिसर्च एजेंसी (आइएआरसी) ने एक आकलन में कहा था कि फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामलों का हवा में मौजूद इन सूक्ष्म कणों से निकट संबंध है. आइएआरसी ने वायु प्रदूषण का संबंध मूत्र नली और थैली के कैंसर के साथ भी बताया था.

डीजल गाड़ियां मुख्य कारण

वैज्ञानिकों का मानना है डीजल से चलनेवाली गाड़ियां इसकी वजह हैं. खासकर वे गाड़ियां,जो प्रदूषण मानकों का पालन नहीं कर रही हैं. बड़ी संख्या में चलने वाले जेनरेटर भी हवा में पीएम 2.5 की मात्र को बढ़ा रहे हैं. निर्माण कार्य के दौरान धूल भी इसकी वजह है.

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