पटना :बिहार के बक्सर में राजा भोज के भग्नावशेष से लेकर मोतिहारी में जॉर्ज ऑरवेल के जन्म स्थान तक बिहार पुरातत्व विभाग ने करीब 13 पुरातत्व स्थलों को पिछले दस वर्षों के अंदर अपने दायरे में लिया है. राज्य के पुरातत्व निदेशालय के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, बिहार प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल भग्नावशेष एवं कला निधि अधिनियम, 1976 के तहत संरक्षित स्मारकों की कुल संख्या 42 हो गयी है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, अरवल जिले के लारी इलाके में स्थित एक प्राचीन टीले को हाल में संरक्षित घोषित किया गया है. इसके लिए पिछले वर्ष सितंबर में अधिसूचना जारी की गयी थी. इस सूची में उपनिवेशकालीन जमुई जिले का घंटा घर भी शामिल है. बिहार के पुरातत्व विभाग की तरफ से साझा कियेगये आंकड़े के मुताबिक 230 वर्ष पुराना ऐतिहासिक गोलघर उन प्रथम छह स्मारकों में शामिल है. जिसे 1976 में संरक्षित घोषित किया गया था.
पांच अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं…
-अगम कुआं और गुलजारबाग का कमलदाह जैन मंदिर
-बेगू हज्जाम की मस्जिद
-पटना सिटी की छोटी पटन देवी
-कंकड़बाग का दुरूखी प्रतिमा
वर्ष 2016 में बक्सर जिले के डुमरांव स्थित राजा भोज के भग्नावशेषों को पुरातत्व विभाग के दायरे में लाया गया जबकि मधुबनी के दवालखा गांव के हरेश्वर नाथ मंदिर को 2015 में इस सूची में शामिल किया गया.