बिहार विस में गूंजा SC/ST एक्ट संशोधन का मामला, तेजस्वी ने CM नीतीश पर लगाया दलितों के खिलाफ साजिश का आरोप
पटना : अनुसूचित जाति / जनजाति कानून में संशोधन का मामला सड़क से सदन तक सोमवार को गूंजा. बिहार विधानसभा परिसर में SC/ST कानून में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विरोध में सड़क से सदन तक सोमवार को हंगामा हुआ.कानून में सुधार को लेकर सड़क से सदन तक जारी हंगामे के बीच राजनीतिक दलों […]
पटना : अनुसूचित जाति / जनजाति कानून में संशोधन का मामला सड़क से सदन तक सोमवार को गूंजा. बिहार विधानसभा परिसर में SC/ST कानून में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विरोध में सड़क से सदन तक सोमवार को हंगामा हुआ.कानून में सुधार को लेकर सड़क से सदन तक जारी हंगामे के बीच राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के आदेश का विरोध कर रहे थे. वहीं, बिहार विधानसभा में भी कानून में संशोधन का मामला गूंजा. विधायकों के शोर-शराबे कारण सदन की कार्यवाही बाधित हो गयी.
अनुसूचित जाति/जनजाति कानून में संशोधन को लेकर विधायकों में गुस्सा था. बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले राजद विधायकों ने सदन के बाहर जमकर हंगामा किया. यहीं नहीं, सदन की कार्यवाही के दौरान भी राजद विधायकों ने जम कर हंगामा किया और केंद्र सरकार विरोधी नारे लगाये. राजद विधायकों ने केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की. सदन में मुख्य विपक्षी दल राजद के साथ-साथ कांग्रेस और माले विधायकों ने भी हंगामा किया. हंगामे के कारण प्रश्नकाल और शून्य काल नहीं चला. विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी.
अनुसूचित जाति/जनजाति कानून में संशोधन को लेकर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ मे दलितों के अधिकारों को उनसे छीनने का प्रयास किया जा रहा है. तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि वह भाजपा के साथ मिलकर दलितों के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहे हैं. उन्होंने कहा कि विरोध में राजद ने विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया और अब वह लोग विधानसभा से इनकम टैक्स चौराहे तक विरोध मार्च में शामिल होने के लिए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, सत्ता पक्ष के नेताओं ने भी सदन परिसर में एससी/एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इसमें जदयू नेता श्याम रजक के साथ रालोसपा नेता और बाकी सत्ता पक्ष के दलित नेता शामिल थे. उनकी मांग यह थी कि नौवीं अनुसूची में दलितों के मसले को शामिल किया जाये.