नयी दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने आज दलितों के खिलाफ अत्याचार निवारण कानून पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र की पुनर्विचार याचिका को ‘आंखों में धूल झोंकने’ वाला करार देते हुए मांग की कि सरकार को इसके बजाय एक अध्यादेश लाना चाहिए.शरद यादव पिछले साल भाजपा के साथ गठजोड़ करने के बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के फैसले के बाद उनसे अलग हो गये थे
शरद यादव ने कहा कि कानून का दुरुपयोग इसको कमजोर करने की वजह नहीं बन सकता है और कहा कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ अपराध क्रमश: 40 और118 फीसदी बढ़ गये हैं. उन्होंने एक बयान में कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दोषसिद्धि अन्य अपराधों की तुलना में राष्ट्रीय दोषसिद्ध से काफी कम है. लिहाजा, सरकार को तुरंत राहत देने के लिये एक अध्यादेश लाना चाहिए.
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि पुनर्विचार याचिका कुछ नहीं बल्कि आंखों में धूल झोंकना है. उन्होंने यहां जंतर मंतर पर आज दलित समूहों को भी संबोधित किया है.