बिहार : बजट सत्र का समापन, हुईं 22 बैठकें, चार विधेयकों को मिली स्वीकृति, जानें

बिहार : योजनाओं की मॉनीटरिंग को समितियों का होगा गठन बजट सत्र का समापन : विस में सतत विकास को लेकर विशेष सत्र, पहली बार किया गया ऐसा आयोजन पटना : विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार को समाप्त हो गया. अनिश्चितकाल तक सत्र समाप्त करने की घोषणा करने से पहले भोजनावकाश के बाद शुरू हुई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2018 5:15 AM
बिहार : योजनाओं की मॉनीटरिंग को समितियों का होगा गठन
बजट सत्र का समापन : विस में सतत विकास को लेकर विशेष सत्र, पहली बार किया गया ऐसा आयोजन
पटना : विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार को समाप्त हो गया. अनिश्चितकाल तक सत्र समाप्त करने की घोषणा करने से पहले भोजनावकाश के बाद शुरू हुई कार्यवाही में सतत विकास लक्ष्यों के लिए निर्धारित कार्यक्रमों और योजनाओं पर विशेष समय देकर विमर्श किया गया.
इस दौरान सरकार की तरफ से उत्तर प्रभारी मंत्री नंदकिशोर यादव ने दिया. उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राज्य सरकार ने विशेष कार्ययोजना तैयार की है. इसके तहत ही मिशन मानव विकास कार्य योजना 2018-22 बनायी गयी है. इसमें विधानमंडल के सदस्यों की भूमिका भी बेहद अहम होगा.
योजनाओं के क्रियान्वयन और निरंतर मॉनीटरिंग के लिए राज्य, जिला और प्रखंड स्तर पर योजनाओं का अनुश्रवण करने के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया जायेगा. इसमें सदस्यों की भूमिका भी बेहद अहम होगी. इसके अलावा सभी सदस्यों को यह अधिकार दिया गया है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की राशि का खर्च निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने वाली योजनाओं में कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 देशों ने 17 गोल की सूची तैयार की है. सतत विकास के लक्ष्यों का मूल सार पांच-पी पर समाहित किया गया है.
इसमें पीपुल (आम जनता), प्लैनेट (पृथ्वी), प्रोस्पेरिटी (समृद्धि), पीस (शांति) और पार्टनरशिप (परस्पर सहभागिता) शामिल हैं. मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में इन तमाम योजनाओं को समाहित करते हुए सतत विकास का रोल मॉडल तैयार किया जा रहा है.
इसके आधार पर ही राज्य सरकार सभी जन कल्याणकारी योजनाओं क संचालन करते हुए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में प्रयासरत है. इसमें आम व्यक्ति का विकास, हर किसी को आवास और कपड़े समेत तमाम मूलभूत संसाधन मुहैया कराने के लिए लगातार कई टिकाऊ योजनाएं चलायी जा रही हैं. बेहतर शिक्षा और स्कूलों से बच्चों को जोड़ने के लिए साईकिल-पोषाक योजना, मध्याह्न भोजन समेत अन्य योजनाएं चलायी जा रही हैं. हर घर नल का जल जैसी योजना सभी लोगों को शुद्ध पानी मुहैया कराने की मुहिम है.
उन्होंने कहा कि कृषि रोड मैप की बदौलत आज राज्य के किसी गरीब की मौत भूख के कारण नहीं हो सकती है. फसल की उत्पादकता में वृद्धि हुई है.
पहले हर शहर, फिर हर गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. दो घंटे के इस बेहद खास विषय पर सभी दलों को अपनी बात रखने का समय दिया गया, जिसमें राजद को 30, जदयू को 25, बीजेपी को 20, कांग्रेस को 10 के अलावा सीपीआई, एलजेपी व हम को एक-एक मिनट तथा निर्दलीय को दो मिनट का दिया गया. इसके अलावा 30 मिनट सरकार को जवाब देने को दिया गया.
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी
सतत विकास विषय पर विमर्श के शुरुआती संबोधन में विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सतत विकास या टिकाऊ विकास या स्वपोषणीय विकास आज दुनियाभर में सरकारों, जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, पर्यावरणविदों और कारोबारी समूहों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
इसके लक्ष्यों को हासिल करने के लिए क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिचर्चाओं, संगोष्ठियों और सम्मेलनों का निरंतर आयोजन हो रहा है. सतत विकास का विचार और इसकी महत्ता समकालीन दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
अगर प्राकृतिक संसाधनों और वातावरण का लगातार क्षय होता रहा, तो मानव जीवन अस्थिर हो जायेगा. संपूर्ण जैव तंत्र नष्ट होने की संभावना बन जायेगी. सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निर्णय निर्माण में व्यापक जन भागीदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व को मूलभूत आधार बनाने की जरूरत है.
सतत विकास सामाजिक आर्थिक विकास की वह प्रक्रिया है, जिसमें पृथ्वी एवं पर्यावरण की सहन शक्ति की सीमा तक ही विकास की बात की जाती है. ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति इस प्रकार करता है कि भावी पीढ़ी को किसी प्रकार का समझौता नहीं करना पड़े.
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की पहल पर पेरिस में 193 देशों ने सभी को सम्मानित जीवन का अवसर उपलब्ध कराने के लिए 17 सतत विकास के लक्ष्यों को संकल्प के रूप में अपनाने की निर्णय लिया गया.

सतत विकास के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के आठ सदस्यों ने रखे अपने विचार
– ललित कुमार यादव : राजद सदस्य ने कहा कि यूएन के निर्धारित 17 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस सरकार में बयानबाजी ही ज्यादा है. सिर्फ प्रचार-प्रसार पर निर्भर होने से यह हासिल नहीं होगा. इसके लिए ठोस उपाये उठाने की जरूरत है. शिक्षा के क्षेत्र में लालू प्रसाद यादव ने ‘पढ़ो या मरो’ का नारा दिया था. वर्तमान शिक्षा की हालत बदतर हो चुकी है. मौजूदा सरकार महाघोटालों के जाल में फंसी हुई है.
– रंजू गीता : जदयू की सदस्य ने कहा कि राज्य ने सतत विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए पहल शुरू कर दी है. कृषि के क्षेत्र में 2012 में धान, 2013 में गेहूं व 2015 में मक्का के सर्वाधिक उत्पादन के लिए कृषि कर्मन्य पुरस्कार मिला है. महिला सशक्तिकरण के तहत 50% आरक्षण देकर उल्लेखनीय शुरुआत हुई है. सतत विकास के 17 लक्ष्य सीएम सात निश्चय योजना से ही प्राप्त हो जायेंगे.
– अशोक कुमार सिंह : जदयू के सदस्य ने कहा कि बिहार ने सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की गयी तमाम चिंताओं से पहले ही काम करना शुरू कर दिया है. भूख मिटाने, गरीबी हटाने और उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि रोडमैप लागू किया गया है. सात निश्चय जब पूरी तरह से जमीन पर उतर जायेगा, तो शहर व गांव में अंतर खत्म हो जायेंगे.
– रामदेव राय : कांग्रेस के सदस्य ने कहा कि तमाम कोशिशों के बाद भी बिहार कई राज्यों से विकास के मामले में अभी पीछे है. दो बार कृषि रोडमैप पूर्ण होने के बाद भी यहां का किसान फटेहाल है. सात निश्चय योजना में लूट की छूट है. केंद्र सरकार विकास की बात से ज्यादा इस बात की चिंता में जुटी है कि लालू जेल में कैसे सड़ेंगे. सिर्फ कांग्रेस के पीछे पड़ी है. विकास से कोई नाता नहीं है.
– आलोक कुमार मेहता : राजद सदस्य ने कहा कि यह एक एेसा विषय है, जो काफी समय से द्वंद में फंसा है. न्याय की व्यवस्था सही नहीं होने से विकास के मायने ही समाप्त हो जायेंगे. सतत विकास के लिए गांवों को जोड़ना बेहद जरूरी है. सहकारिता पर जोड़ देने की जरूरत है, जिससे गरीबी दूर सकती है.
– श्याम रजक : जदयू सदस्य ने कहा कि सतत विकास के मुद्दे में पक्ष और विपक्ष जैसी कोई बात नहीं है. यहां की 12 करोड़ की जनता का सवाल है. राज्य में सात निश्चय योजना से हर तरह की सुविधा का विकास गरीबों के लिए हो रहा है. स्कूल की संख्या 40 हजार से बढ़ कर 76 हजार हो गयी है. जो भी जदयू के सदस्य होंगे, उन्हें पेड़ लगाना होगा.
– मो. नेमतुल्लाह : राजद के सदस्य ने कहा कि विकास चाहिए, तो शांति व्यवस्था कायम होना बेहद जरूरी है. वर्तमान में सदभावना का माहौल नहीं है. माहौल बिगड़ता जा रहा है, इसलिए पहले इसे सुधार करने की जरूरत है. सात निश्चय योजना फेल है.
– सुदामा प्रसाद : सीपीआई (एमएल) के सदस्य ने कहा कि जिन प्राकृतिक संसाधनों पर कभी मूल निवासियों का कब्जा हुआ करता था. आज उस पर कॉरपोरेट घरानों ने हक जमाना शुरू कर दिया है. किसी विचारधारा को खत्म नहीं किया जा रहा है.
एससी-एसटी मुद्दा
राजद का फिर हंगामा, वेल में पहुंचे सदस्य
पटना : विधान परिषद में सत्र के अंतिम दिन एससी-एसटी मुद्दे को लेकर राजद ने हंगामा किया. एससी-एसटी कानून में हुए बदलाव किये जाने का विरोध व्यक्त करते हुए राजद सदस्य वेल में पहुंच कर सरकार विरोधी नारा लगाया. वेल से वापस होने के दौरान एक टिप्पणी को लेकर जदयू के अशोक चौधरी व राजद के सुबोध कुमार में नोक-झोंक हुई.
अशोक चौधरी के समर्थन में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने राजद सदस्य को आचरण में सुधार लाने की बात कहीं. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राजद के सुबोध कुमार ने एससी-एसटी मुद्दे पर बहस की मांग को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया. एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून में बदलाव से दलितों को सड़क पर उतरना पड़ा.

निवेशक सम्मेलन शीघ्र होगा
उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही निवेशकों का सम्मेलन होगा. इसमें बाहर के निवेशक राज्य में उद्योग लगाने में अपनी रुचि दिखायेंगे. इसके लिए मुंबई, पंजाब, लुधियाना सहित कई अन्य शहरों में रोड शो किया गया है. विधान परिषद में राकेश कुमार के तारांकित सवाल के जवाब में उद्योग मंत्री बोल रहे थे.
विपक्ष के मुद्दाविहीन हंगामे के लिए याद रहेगा बजट सत्र
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को यह समझना चाहिए कि 37 दिनों तक चला बिहार विधानमंडल का बजट सत्र समाप्त हो गया. उन्होंने कहा कि यह सत्र विपक्षी दल के मुद्दाविहीन हंगामे के लिए याद रखा जायेगा. पूरे सत्र में विपक्षी सदस्यों की आस्था विधायी लोकतंत्र में नहीं दिखी.
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि यह सुना है कि तेजस्वी प्रसाद यादव ने नीतीश सरकार के खिलाफ आरोपपत्र जारी करने का एलान किया है.
वैसे चेहरा चमकाने के लिए आरोपपत्र जारी करते हुए तेजस्वी के पास कोई तथ्य ही नहीं होगा. क्या वह अपने आरोपपत्र में यही जानकारी देंगें की कैसे नीतीश सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए राज्य के बज़ट में इजाफा करते हुए उसे एक लाख 76 हजार करोड़ से ऊपर पहुंचा दिया? या फिर यह बतायेंगे कि बिहार का विकास दर देश के विकास दर से 3.3 फीसदी तेज है. वैसे तो आपको शिक्षा से बहुत मतलब नहीं है.
आरोपपत्र में आप बता सकते हैं कि नीतीश सरकार इस साल शिक्षा के लिए 32,125 करोड़ खर्च करेगी. आरोपपत्र में इस बात का जिक्र अवश्य करें कि नीतीश सरकार ने छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए ऋण देने को पहले से और सुलभ बनाया है.
अब बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम से युवाओं को ऋण मिल रहा. बैंक का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है.16 जिलों में आईटीआई की स्थापना भी की जा रही है. सभी मेडिकल कॉलेज में आई बैंक की स्थापना भी होगी.

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