मूड के पूर्वानुमान में चूक से बेकाबू हो जाते हैं उग्र आंदोलन
पटना : बीते रोज पटना सहित समूचे देश के कई हिस्सों में बंद के दौरान आंदोलन उग्र हाे गया. इससे अराजक स्थिति उत्पन्न हो गयी. हिंसा और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं तो ऐसे आंदोलन में आम होती हैं. दरअसल समूचा शहर उनका बंधक बन जाता है. एक्सपर्ट की राय है कि जिस शहर में इस तरह […]
पटना : बीते रोज पटना सहित समूचे देश के कई हिस्सों में बंद के दौरान आंदोलन उग्र हाे गया. इससे अराजक स्थिति उत्पन्न हो गयी. हिंसा और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं तो ऐसे आंदोलन में आम होती हैं. दरअसल समूचा शहर उनका बंधक बन जाता है. एक्सपर्ट की राय है कि जिस शहर में इस तरह की गतिविधियां होती हैं, वहां अचानक शहर आंदोलनकारियों के कब्जे में चला जाता है.
बाद में प्रशासन व पुलिस स्तर पर मामले में गंभीरता बरती जाती है. धारा 144 से लेकर कई बार कर्फ्यू तक लगा दियाजाता है. दरअसल सरकारी एजेंसियां ऐसे आंदोलन का पूर्वानुमान लगाने में असफल हो जाती हैं. सोमवार को भारत बंद के दौरान राजधानी में भी कुछ इस तरह का मामला देखने को मिला. बंद की अगुआई कर रहे लोगों की भीड़ ने दो घंटे के भीतर ही शहर को कब्जे में ले लिया. कई प्रमुख चौराहों पर आगजनी हुई और पूरा शहर सुबह के पहर में ही देखते ही देखते आंदोलनकारियों के कब्जे में आ गये. प्रशासन भीड़ के अनुमान और लोगों के मूड के आकलन में असफल रहा. तैयारी उस तरह की नहीं थी कि ऐसे लोगों को चिह्नित कर हिरासत में लिया जाये.
मिली असफलता
पटना जिले के एडीएम लॉ एंड ऑर्डर अाशुतोष वर्मा बताते हैं कि सोमवार को शहर के कुल 90 जगहों पर दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी थी. इस दौरान इनकम टैक्स, डाकबंगला, कारगिल चौक सहित कई प्रमुख चौराहों पर विशेष निगरानी रखी गयी थी. मगर पहले से कोई हंगामा होने व बड़ी वारदात होने का इनपुट नहीं मिला था. इस कारण सब कुछ सामान्य तरीके से लिया गया था. दिन चढ़ने के साथ ही कई जगहों पर भीड़ बढ़ती गयी.
इसके अलावा अधिकारी बताते हैं कि किसी भी मुद्दे को लेकर बंद का आह्वान करना और धरना प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है. इस पर कोई विशेष परिस्थिति नहीं हो, तो रोक नहीं लगायी जा सकती है. धारा 144 लगाने के लिए भी पहले से निर्णय लेना होता है. कर्फ्यु लगाने के लिए भी कुछ नियम होते हैं. इस तरह के मामलों में पहले से निर्णय लेना संभव नहीं होता है.
एडीएम लॉ एंड आॅर्डर बताते हैं कि पहले से भीड़ की मानसिकता का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. कोई किस चौराहे पर क्या कर देगा, इसको लेकर पहले से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है. इसके अलावा अगर कोई आंदोलन देश भर में पहले से चल रहा है, तो उसे लेकर तैयारी बड़े स्तर पर की जा सकती है. मगर दो दिन पहले किसी बंद को लेकर अंदाजा लगाना मुश्किल होता है.
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद कराने के मामले का विरोध करते हुए पटना जिला अधिवक्ता संघ ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है.
संघ ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से पारित आदेश के खिलाफ विरोध करने वालों पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. अधिवक्ता संघ ने इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि न्यायपालिक अपने अधीनस्थ न्यायालय को जो निर्देश या सुझाव दिया गया है, उसका राजनीतिक विरोध न्यायपालिका के आदेश की अवमानना है.
सर्वोच्च न्यायालय अपने दैनिक कार्य में प्रतिदिन संविधान एवं कानून की व्याख्या की जाती है. ऐसे में राजनैतिक पार्टियां न्यायपालिका पर हावी होने का जो प्रयास कर रही है, वह गैर-कानूनी तरीका है. ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से पारित आदेश का विरोध करने वाले व्यक्तियों एवं राजनीतिक संगठनों के खिलाफ न्यायपालिका के आदेश का अनादर अवमानना और विरोध के लिए दोषी मानकर उचित कानूनी कार्रवाई की जाये. संघ के अध्यक्ष निरंजन प्रसाद सिंह, केडी मिश्रा, शशि भूषण भारती, रंजीत कुमार, संजय कुमार सिन्हा समेत अन्य ने यह पत्र लिखा है.
भारत बंद के दौरान उपद्रव मचाने और सड़क जाम करने के मामले में कोतवाली पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. इसमें भीम आर्मी समेत अन्य संगठनों के लोग शामिल हैं. इसमें अमर ज्योति, चंद्रा भाष्कर, गौतम कुमार, रामबाबू, राहुल रंजन, अनुज, विद्या शरण विश्वकर्मा, रवि कुमार, आरविंद चौधरी, अमरनाथ कुमार शामिल हैं. बच्चन राय और बलदेव राय को गिरफ्तार किया गया है.