बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : जो विद्यार्थी लोन लौटाने में सक्षम नहीं उनका माफ हो सकता है लोन, जानें कैसे

स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : सीएम ने शिक्षा वित्त निगम का किया उद्घाटन, कहा पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा मुहैया कराने के लिए विशेष पहल शुरू की है. अब स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड (एससीसी) योजना के तहत छात्रों को सरकार अपने स्तर से ही ऋण मुहैया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2018 8:01 AM
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : सीएम ने शिक्षा वित्त निगम का किया उद्घाटन, कहा
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा मुहैया कराने के लिए विशेष पहल शुरू की है. अब स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड (एससीसी) योजना के तहत छात्रों को सरकार अपने स्तर से ही ऋण मुहैया करायेगी. बैंक का चक्कर लगाने का झंझट खत्म हो गया है.
सीएम ने बुधवार को मुख्यमंत्री सचिवालय के सभागार में आयोजित खास कार्यक्रम में बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम का उद्घाटन किया. अब इसी निगम के जरिये छात्राें को चार लाख रुपये तक का ऋण दिया जायेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एससीसी योजना में आर्थिक रूप से अक्षम छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए महज चार फीसदी ब्याज दर पर यह ऋण दिया जायेगा.
इसे लौटाने में काफी सहूलियतें दी गयीं हैं. पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद या नौकरी मिलने के छह महीने बाद ऋण लौटाना होगा. इसके बाद भी अगर कोई छात्र ऋण लौटाने में किसी भी तरह से सक्षम साबित नहीं होंगे, तो उनका ऋण माफ भी किया जा सकता है.
पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं मिली या अन्य किसी तरह के आर्थिक कारणों से ऋण लौटाने में अक्षम छात्रों को माफी भी दी जा सकती है. यह पैसा सरकार का है और इसका उचित निर्णय लेने का पूरा अधिकार सरकार को है. बैंक का किसी तरह का कोई झंझट नहीं होने से सरकार हर तरह से निर्णय लेने में समर्थ है.
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां सरकार बिना किसी बैंक के सहयोग के छात्रों को उच्च शिक्षा में पढ़ने के लिए अपने स्तर पर ऋण मुहैया करा रही है. उन्होंने कहा कि एससीसी में ट्रांसजेंडर, महिला और दिव्यांगों को महज एक फीसदी ही ब्याज लगेगा.
इस योजना का मुख्य उदे्श्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के औसत को बेहतर करना है. वर्तमान में बिहार का उच्च शिक्षा के क्षेत्र यानी 12वीं के बाद पढ़ने वाले छात्रों का अनुपात (जीईआर) 14.9 प्रतिशत है, जबकि, जीईआर में राष्ट्रीय औसत 24 फीसदी है. एससीसी योजना लागू करने के पहले राज्य का अनुपात 13.9 फीसदी था, लेकिन इसके बाद यह बढ़कर 14.9 फीसदी हो गया.
बैंकों की लापरवाही से गति नहीं पकड़ सकी योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की लापरवाही और इस योजना में अपेक्षाकृत रुचि नहीं लेने की वजह से ही एससीसी योजना गति नहीं पकड़ पायी.
इस वजह से सरकार को अंत में परेशान होकर अपना शिक्षा वित्त निगम गठित कर इससे ऋण देने की पहल करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि बैंकों को ऋण और ब्याज दोनों यानी 160% की गारंटी देने के बाद भी ऋण देने में उनका लगातार उदासीन रवैया बना रहा. एससीसी के तहत 23 हजार से ज्यादा आवेदन आये, जिनमें 18,242 आवेदन स्वीकृत हुए. इनमें महज 12,050 को ही ऋण देने की प्रक्रिया शुरू की गयी है.
उस पर भी छात्रों को बैंक वाले काफी परेशान करने लगे. जबकि, नियमानुसार जिला स्तरीय डीआरसीसी (डिस्ट्रिक रिसोर्स कम्यूनिकेशन सेंटर) से छात्रों का आवेदन पास होने के बाद बैंक को सीधे ऋण मुहैया करा देना है, क्योंकि इसकी गारंटर सरकार है. फिर भी बैंक वाले इसमें काफी आनाकानी करते हैं.
इस कार्यक्रम को डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, वित्त विभाग की प्रधान सचिव सुजाता चतुर्वेदी व सचिव राहुल सिंह समेत अन्य ने भी संबोधित किया.
ऐसे काम करेगा राज्य िशक्षा वित्त निगम
राज्य शिक्षा वित्त निगम का अपना कार्यालय है और इसमें एमडी लेकर तमाम कर्मचारी बहाल किये गये हैं. अब एससीसी के तहत ऋण लेने के लिए जिला स्तर पर डीआरसीसी में छात्र आवेदन करेंगे. इनकी हर तरह से जांच करने के लिए इसे निगम में भेज दिया जायेगा. आवेदन प्राप्त होने के बाद संबंधित कॉलेज के बैंक एकाउंट में रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिये जायेंगे.
जिन्हें मिल रही छात्रवृत्ति, उन्हें भी िमलेगा इस योजना का लाभ
सीएम ने कहा कि जिन छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति या अन्य किसी तरह की सरकारी छात्रवृत्ति मिल रही है. उन्हें भी एससीसी मिल सकता है.
बिहार के रहने वाले वैसे छात्र जिन्होंने पड़ोसी राज्य से 10वीं या 12वीं की परीक्षा पास ही है, वे भी इसका लाभ ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को पढ़ने की सुविधा के साथ-साथ कौशल प्रदान करने के लिए सभी प्रखंड में कौशल विकास केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं. इसके अंतर्गत कुशल युवा कार्यक्रम के अंतर्गत 240 घंटे का कंप्यूटर शिक्षा के अलावा संवाद कौशल और व्यवहार कौशल भी सिखाया जायेगा.

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