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इस तरह से आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर को क्रैक कर बुक हो रहे तत्काल टिकट
पटना : रेलवे में आरक्षित टिकट बुक करनी वाली तमाम एजेंसियां आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर को क्रैक कर टिकट बुक कर रही हैं. ये टिकट गलत जानकारी देकर बिचौलियों के जरिये बुक कराये जाते हैं. एजेंसियां सॉफ्टवेयर क्रैक करने के लिए लक्सेनिया नामक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं. लक्सेनिया साॅफ्टवेयर जैसे तमाम साॅफ्टवेयर केवल बीस […]
पटना : रेलवे में आरक्षित टिकट बुक करनी वाली तमाम एजेंसियां आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर को क्रैक कर टिकट बुक कर रही हैं. ये टिकट गलत जानकारी देकर बिचौलियों के जरिये बुक कराये जाते हैं. एजेंसियां सॉफ्टवेयर क्रैक करने के लिए लक्सेनिया नामक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं.
लक्सेनिया साॅफ्टवेयर जैसे तमाम साॅफ्टवेयर केवल बीस दिन ही काम करते हैं. इसके बाद वे निष्क्रिय हाे जाते हैं. दरअसल निजी कंपनियां किसी स्थायी सॉफ्टवेयर को क्रैक करने के लिए शार्ट ड्यूरेशन का साॅफ्टवेयर बनाती हैं.
इस तरह साॅफ्टवेयर करता है काम
टिकट बुक करनेवाली एजेंसियां जिस लक्सेनिया जैसे साॅफ्टवेयर का इस्तेमाल करती हैं, वह ऑनलाइन आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर को पहले हैक करता है. इसके बाद वह आईआरसीटीसी के साफ्टवेयर को खुद संचालित करके टिकट बनाने लगता है.
कुछ ही समय में यह सॉफ्टवेयर बिचौलियों के लिए टिकट बुक कर देता है. दो दिन पहले राजेंद्र नगर टर्मिनल के आरपीएफ पोस्ट की ओर से एक दुकान में छापेमारी की थी, जिसमें 22 तत्काल टिकट के साथ दो दलालों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार दलालों से पूछताछ में दूसरे सॉफ्टवेयर के माध्यम से आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर क्रैक कर तेजी से तत्काल टिकट बुक करने का खुलासा हुआ है.
25 से 30 दिनों में सॉफ्टवेयर की वैधता हो जाती है खत्म
बेंगलुरु की एक कंपनी है, जो आईआरसीटीसी के सॉफ्टवेयर को क्रैक करनेवाली सॉफ्टवेयर तैयार करती है. इस सॉफ्टवेयर को एजेंट के माध्यम से ट्रेवल्स एजेंसियों को ढाई से तीन हजार रुपये में मुहैया करायी जाती है. गिरफ्तार टिकट दलाल ने पूछताछ में बताया कि लक्सेनिया नामक सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे थे, जिसमें आईडी की झंझट नहीं होती है.
साथ ही स्पीड भी काफी अधिक होती है. दलाल ने यह भी बताया कि एक सॉफ्टवेयर की वैधता 25 से 30 दिनों की होती है. वैधता खत्म होने के बाद नया सॉफ्टवेयर मंगवाना पड़ता है.
फर्जी आईडी भी तैयार कर देते हैं दलाल
टिकट दलालों पर नकेल कसने को लेकर रेलवे बोर्ड ने नया प्रावधान लागू किया. नये प्रावधान के अनुसार ऑनलाइन टिकट बुक कराये यात्रियों को यात्रा के दौरान आईडी पास में रखना है. रेल यात्री के वास्तविक नाम से टिकट बुक नहीं हुआ और बुक किये टिकट पर दूसरा नाम है.
इस स्थिति में टिकट दलाल फर्जी आधार कार्ड व वोटर आइ-कार्ड भी बना कर यात्री को दे देते हैं. इस फर्जी आइ-कार्ड की सत्यता की जांच करने को लेकर रेलवे प्रशासन के पास कोई उपकरण नहीं है, जिससे यात्री आसानी से दलालों से टिकट खरीदने के साथ-साथ फर्जी आई-कार्ड से सफर पूरा कर लेते हैं.
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