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बिहार : रविशंकर प्रसाद बोले, दलित हिंदुओं, सिखों व बौद्धों को आरक्षण का अधिकार

पटना : केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार एससी एसटी एक्ट को मजबूत कर रही है. संविधान प्रदत आरक्षण को कोई छीन नहीं सकता. एससी- एसटी एक्ट 1989 में आया, जिसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2015 में मजबूत किया. विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2018 7:55 AM
पटना : केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार एससी एसटी एक्ट को मजबूत कर रही है. संविधान प्रदत आरक्षण को कोई छीन नहीं सकता. एससी- एसटी एक्ट 1989 में आया, जिसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2015 में मजबूत किया.
विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने कहा कि संविधान में लिखा है उन्हीं दलितों को आरक्षण मिलेगा जो हिन्दू, बौद्ध या सिख धर्म को मानते हैं. उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में भारत सरकार कहीं पार्टी नहीं थी. जब कोर्ट का फैसला आया तो तो हमने तुरंत पीटीशन दाखिल किया. प्रसाद शुक्रवार को भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय के साथ संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
प्रसाद ने कहा है कि संविधान में आरक्षण का प्रावधान सिर्फ दलित हिंदुओं के लिए है. हिंदू बौद्ध और सिखों को यह संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. जो दलित मुस्लिम व ईसाई की बात कर रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि दूसरे धर्मों के लोगों को यह अधिकार नहीं. यदि उन्हें यह अधिकार मिला तो यह दलितों की हकमारी होगी. केंद्र सरकार किसी सूरत में एससी-एसटी के अधिकारों की हकमारी नहीं होने देगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1989 में एससी एसटी एक्ट आया. असल में मोदी सरकार ने इसे 2015 में मजबूत किया. कानून में दलितो को और अधिकार दिये गये. उन्होंने कहा कि दलित महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए भी कड़े कानून बनाए. वर्तमान में जिस मुम्बई केस की चर्चा है उसमें भारत सरकार पार्टी नहीं थी.
न ही सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार पार्टी थी. इसी साल 20 मार्च को इस केस का फैसला आया. इस फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने रिव्यू पेटिशन फ़ाइल तैयार किया लेकिन 6 दिन सुप्रीम कोर्ट बंद होने की वजह से रिव्यू पेटिशन 11 दिन बाद फ़ाइल हुआ. उन्होंने कहा कि आज जो दल दलितों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे वे सिर्फ नाटक कर रहे हैं. मोदी सरकार देश के गरीबों और दलित के प्रति समर्पित है.

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