बिहार : नीतीश, मोदी, राबड़ी सहित सभी 11 निर्विरोध निर्वाचित, मिला प्रमाणपत्र
विधान परिषद : सीएम की अनुपस्थिति में वशिष्ठ ने लिया प्रमाणपत्र पटना : बिहार विधान परिषद के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित सभी 11 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिये गये हैं. नामांकन वापसी की अंतिम तिथि खत्म होने के बाद गुरुवार […]
विधान परिषद : सीएम की अनुपस्थिति में वशिष्ठ ने लिया प्रमाणपत्र
पटना : बिहार विधान परिषद के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित सभी 11 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिये गये हैं.
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि खत्म होने के बाद गुरुवार को विधानसभा के सचिव सह निर्वाची पदाधिकारी रामश्रेष्ठ राय ने सभी उम्मीदवारों को प्रमाणपत्र सौंपा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की अनुपस्थिति में भोला यादव ने उनका प्रमाणपत्र ग्रहण किया. निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय कक्ष में 11 में से 9 उम्मीदवारों ने स्वयं प्रमाणपत्र ग्रहण किया.
दोपहर तीन बजे नामांकन वापसी की समय सीमा खत्म होने के बाद इनको प्रमाणपत्र दिया गया. इनमें भाजपा कोटे से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मंगल पांडेय व संजय पासवान, कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्र, राजद के डॉ रामचंद्र पूर्वे व सैय्यद खुर्शीद मोहसिन, जदयू के रामेश्वर महतो व खालिद अनवर तथा हम के संतोष कुमार सुमन शामिल हैं. इनका कार्यकाल अगले छह वर्षों के लिए होगा.
कई राजनीतिक दल
पटना : विधान परिषद की 11 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन के बाद बिहार विधानमंडल में कई दलों की स्थिति बदली-बदली दिखेगी. नव गठित पार्टी हम का पहली बार विधान परिषद में खाता खुलेगा. साथ ही कई राज्यों में मजबूत स्थिति वाले और राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता वाले दल का विधानमंंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा.
वामपंथी दलों में कभी राज्य में माकपा की मजबूत स्थिति थी लेकिन आज इस दल का न तो कोई विधानसभा में और न कोई विधान परिषद में सदस्य है. वासुदेव बाबू के बाद से माकपा का कोई व्यक्ति विधान परिषद नहीं पहुंचा है. भाकपा का विधान परिषद में तो प्रतिनिधित्व है लेकिन विधानसभा में उसका कोई सदस्य नहीं है.
इसी तरह माले का विधानसभा में तो उपस्थिति है लेकिन विधान परिषद में उसकी उपस्थिति नहीं है. कभी राज्य में वामदलों की काफी मजबूत स्थिति थी. बेगूसराय को लेनिन ग्राड कहा जाता था. भाकपा और माकपा को राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता है लेकिन बिहार की संसदीय राजनीति में उसकी स्थिति कमजोर है. सपा व बसपा की पड़ोसी राज्य यूपी में काफी अच्छी स्थिति है लेकिन विधानमंडल में दोनों पार्टी की उपस्थिति नहीं है. तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल में सरकार है लेकिन बिहार में न सांगठनिक रूप से मजबूत है न संसदीय राजनीति में ही भागीदारी है.
पिता विधानसभा तो बेटा विधान परिषद में
बिहार की संसदीय राजनीति में शायद यह पहली बार होगा कि पिता विधानसभा के सदस्य और बेटा विधान परिषद का सदस्य होगा. वह भी एक दल से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विधानसभा के सदस्य हैं और उनके बेटे विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए हैं. पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह जब विधान परिषद के सदस्य थे तो उनके बेटे विधानसभा के सदस्य हुआ करते थे. राबड़ी विधान परिषद की सदस्य तो उनके दोनों बेटे विधानसभा के सदस्य हैं. इस तरह 2015 के पहले नरेंद्र सिंह विधान पार्षद हुआ करते और उनके दो बेटे विधानसभा के सदस्य हुआ करते थे.