रेलवे टेंडर घोटाला : लालू-राबड़ी-तेजस्वी समेत 14 लोगों के खिलाफ नौ मई तक दस्तावेज पेश करने का CBI को मिला समय

नयी दिल्ली : आईआरसीटीसी घोटाले के आरोपित लालू-राबड़ी-तेजस्वी समेत 14 लोगों के खिलाफ दस्तावेज तैयार हुए बिना चार्जशीट दाखिल किये जाने पर सीबीआई की विशेष अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए नौ मई तक का समय दे दिया है. सीबीआई ने मामले से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए अदालत से समय की मांग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2018 1:39 PM

नयी दिल्ली : आईआरसीटीसी घोटाले के आरोपित लालू-राबड़ी-तेजस्वी समेत 14 लोगों के खिलाफ दस्तावेज तैयार हुए बिना चार्जशीट दाखिल किये जाने पर सीबीआई की विशेष अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए नौ मई तक का समय दे दिया है. सीबीआई ने मामले से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए अदालत से समय की मांग की थी. सीबीआई ने दलील दी कि कुछ दस्तावेजों पर संबंधित विभागों से मंजूरी लेना शेष है. इस पर अदालत ने कहा कि जब तक दस्तावेज दाखिल नहीं किये जायेंगे, संज्ञान नहीं लिया जा सकता. इसके बाद अदालत ने सीबीआई को नौ मई तक दस्तावेज दाखिल करने का समय दे दिया.

मालूम हो कि लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता करार दिये जाने के बाद दिल्ली स्थित एम्स में इलाज करा रहे हैं. वहीं, लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में उनकके छोटे बेटे तेजस्वी यादव पार्टी की मजबूती के लिए प्रयासरत हैं. रेलवे टेंडर घोटाला मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद तेजस्वी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. मालूम हो कि रेलवे टेंडर घोटाला मामले में तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपितों पर आईपीसी की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है. तेजस्वी यादव के खिलाफ इन धाराओं के लगाने से उनके राजनीतिक कॅरियर पर संकट गहरा सकता है.

अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान, दावं पर लगा तेजस्वी का राजनीतिक कॅरियर !

रेलवे टेंडर घोटाले के आरोपितों पर लगायी गयी धाराओं में अधिकतम सजा जुर्माना या जुर्माने के बिना सात साल है. यह गैर जमानती धारा है. हालांकि, आरोपित के पक्ष में पर्याप्त बिंदुओं को देखते हुए अदालत को अधिकार है कि वह आरोपित को जमानत दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, राजनीतिज्ञों से संबंधित मामलों में स्पेशल कोर्ट में ही सुनवाई होनी है, ताकि जल्द से जल्द से फैसला आ सके. सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल किये जाने का बाद अब इस मामले में अदालत कॉग्निजेंस लेगा, फिर ट्रायल होगा. इस दौरान अगर सीबीआई द्वारा पर्याप्त सबूत और गवाह अदालत में पेश किये जाते हैं, तो आरोपित को सात की सजा जुर्माने के साथ या जुर्माने के सात साल तक की सजा हो सकती है. कानूनी जानकारों के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को छह माह से ज्यादा की सजा होती है, तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक वह व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है. अगर तेजस्वी यादव पर आरोप सिद्ध हो जाता है, तो उन्हें सात साल तक की सजा मिल सकती है. ऐसे में तेजस्वी के चुनाव नहीं लड़ने पर उनके राजनीतिक कॅरियर पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

तेजस्वी के पास अब भी हैं रास्ते

सीबीआई द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने के आधार पर अदालत मामले को देखेगी. हालांकि, तेजस्वी यादव अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं. जमानत के लिए वह आत्मसमर्पण करने के पहले या आत्मसमर्पण के बाद याचिका दाखिल कर सकते हैं.

क्या है मामला?

तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में रेलवे के दो होटलों को आईआरसीटीसी को स्थानांतिरित किया गया था. साथ ही होटलों की देखभाल के लिए टेंडर जारी किये थे. बताया जाता है कि लालू प्रसाद ने रेल मंत्री रहते हुए झारखंड स्थित रांची और ओड़िशा स्थित पुरी के दो होटलों का आवंटन कोचर बंधु की कंपनी सुजाता होटल को स्थानांतरित कर दिया था. रेलवे के होटलों के आवंटन में लालू प्रसाद यादव को पटना में करोड़ों की जमीन एक शेल कंपनी डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को ट्रांसफर कर दिया था. हालांकि, इस कंपनी का नाम बाद में बदल कर लारा प्राइवेट कंपनी कर दिया गया.

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