बिहार : गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं लवकुश, निजी स्कूलों को सैंपल में दी गयी किताबें संगृहीत कर गरीबों में बांटते हैं
II रवि प्रकाश II बिक्रम : जो बच्चे कल तक गाय-भैंस, बकरी व सूअर चराते या गलियों में दौड़ते-फिरते थे, आज हिंदी-अंग्रेजी में कविता पढ़ते हैं. जोड़-घटाव और गुणा-भाग के अलावा अखबार भी पढ़ते हैं. यह सब संभव हुआ है बिक्रम प्रखंड के कटारी गांव के युवा लवकुश के प्रयास से. दो साल पहले इन […]
II रवि प्रकाश II
बिक्रम : जो बच्चे कल तक गाय-भैंस, बकरी व सूअर चराते या गलियों में दौड़ते-फिरते थे, आज हिंदी-अंग्रेजी में कविता पढ़ते हैं. जोड़-घटाव और गुणा-भाग के अलावा अखबार भी पढ़ते हैं. यह सब संभव हुआ है बिक्रम प्रखंड के कटारी गांव के युवा लवकुश के प्रयास से. दो साल पहले इन बच्चों को देख कर लवकुश ने उन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया.
आज वे समाज के सबसे अंतिम पायदान पर गुजर-बसर करने वाले मुसहरी की मलिन बस्ती के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं. लवकुश प्रखंड के मोरियामा गांव में 60 गरीब बच्चों और कटारी गांव के 40 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं. इसके अलावा वे इन बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए संगीत और पेंटिंग की प्रतियोगिता भी समय-समय पर कराते हैं, ताकि इन बच्चों का चहुंमुखी विकास हो रहा है. वे पढ़ाई के अलावा अच्छे संस्कार भी शिक्षा देते हैं. तीन माह पूर्व मोरियामा गांव की महिला के पति बुद्धदेव पांडेय की कैंसर से मौत हो गयी थी.
लवकुश को जैसे ही इसकी जानकारी मिली तो सीधे घर पहुंच कर उक्त महिला को यह दिलासा दिया कि उसके पांचों बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी वे पूरा करेंगे. वे बच्चों को उच्च शिक्षा के साथ नेक इंसान बनाने का प्रयास करूंगा.
लवकुश बताते हैं कि बचपन से उस वंचित समाज की पीड़ा देखी थी. निर्णय लिया था कि इनके लिए कुछ करना है. शुरुआत अपने घर पर बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने से किया. उसके इस कार्य से दोस्त मुकुंद, गौरव, वीरू व सन्नी बहुत प्रभावित हुए. फिर उन लोगों के सहयोग से ‘आवाज एक पहल’ संस्था गठन किया. सन्नी के गांव मोरियामा स्थित उसके घर के एक कमरे में 60 बच्चों को मुफ्त में पढ़ना शुरू कर दिया.
निजी स्कूलों को सैंपल में दी गयी किताबें संगृहीत कर गरीबों में बांटते हैं
लवकुश बताते हैं कि बच्चों के पठन-पाठन के लिए किताब-कॉपी व पेंसिल के लिए कैंपेन चला कर कई निजी स्कूलों से प्रकाशक द्वारा सैंपल में दी गयी किताबों को जमा कर उन्हें मुहैया कराता हूं. आज कई बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता उसकी संस्था से जुड़े हैं. अभी फिलहाल वे वर्ग पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ा रहा हूं.
आने वाले दिनों में बिक्रम प्रखंड के निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत इन बच्चों को दाखिला दिलाने का प्रयास करूंगा. अब उनकी संस्था के सदस्यों की संख्या हजार तक पहुंच गयी है.
सभी सदस्यों का पर्यावरण के क्षेत्र में भी काम करने का विचार आया और बीते वर्ष जुलाई से लेकर अगस्त माह में पटना जिले में विभिन्न जगहों पर सड़कों के किनारे व नहर के किनारे एक लाख पौधे उसकी संस्था के द्वारा लगाये गये. उनकी संस्था घरों में बेकार व छोटे हुए कपड़ों को संग्रह कर मलीन बस्तियों के परिवारों के बीच वितरित करती है.