बिहार : जेल से अपराधी फेसबुक और व्हाट्सएप से दे रहे धमकी

पटना : राज्य की जेलों में बंद होना कुछ अपराधियों के लिए सुरक्षित होकर अपने अपराध के साम्राज्य को चलाने का माध्यम है. इसकी सबसे सशक्त बानगी पेश करता है, औरंगाबाद जेल. यहां हत्या समेत अन्य कई मामलों में कुख्यात अपराधी अजीत सिंह उर्फ कुंवर अजीत सिंह बंद है. यह जेल के वार्ड संख्या आठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2018 7:47 AM
पटना : राज्य की जेलों में बंद होना कुछ अपराधियों के लिए सुरक्षित होकर अपने अपराध के साम्राज्य को चलाने का माध्यम है. इसकी सबसे सशक्त बानगी पेश करता है, औरंगाबाद जेल. यहां हत्या समेत अन्य कई मामलों में कुख्यात अपराधी अजीत सिंह उर्फ कुंवर अजीत सिंह बंद है.
यह जेल के वार्ड संख्या आठ का कैदी है. औरंगाबाद के शाहपुर मोहल्ले के रहने वाले इस अपराधी पर टॉउन थाना में कांड संख्या 286/16 के अलावा अलग-अलग थानों में कांड संख्या 173/13, 261/08 समेत अन्य मामले दर्ज हैं. वह सितंबर, 2016 से लगातार जेल की चहारदिवारी में कैद है, लेकिन इससे उसकी गतिविधि पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.
उसने सोशल साइट्स को माध्यम बना रखा है. फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिये अपने खिलाफ केस करने वालों को लगातार धमकी दे रहा है. साथ ही वह लगातार अपने फेसबुक एकाउंट अपडेट कर रहा और अपने फेसबुक फेंड्स के स्टे्टस पर कमेंट भी कर रहा है. इतना ही नहीं उसने अपनी कुछ तस्वीरें भी अंदर से पोस्ट की हैं. फेसबुक पर उसका एकाउंट कुंवर अजीत सिंह अजीत के नाम से है.
साथ ही सुबह, दोपहर और शाम को वह ऑनलाइन भी बना रहता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि जेल के अंदर भी उसे तमाम सुविधाएं मिली हुईं हैं. औरंगाबाद जेल में मनीष कुमार शर्मा नाम का एक दूसरा अपराधी भी है. यह भी अपने फेसबुक और व्हाट्सएप का लगातार उपयोग अपनी आपराधिक गतिविधि को बनाये रखने के लिए करता है.
अपने अन्य साथियों से संपर्क करने और उन्हें किसी आपराधिक गतिविधि में उचित सलाह भी देता रहता है. हाल में दंगा के आरोप में बंद किये गये आरोपी सुजीत सिंह समेत अन्य कई लोग भी जेल के अंदर से लगातार अपना फेसबुक एकाउंट चला रहे हैं और अलग-अलग तरह से नारेबाजी कर रहे हैं.
मनीष कुमार शर्मा ने तो 18 मार्च की दोपहर को जेल के अंदर से हिन्दू नववर्ष की बधाई खुदवा पैक्स के किसानों और सदस्यों ने नाम दी है. इसके अलावा भी अन्य कई मौके पर वह लगातार अपना मैसेज पोस्ट करता रहता है. हाल-फिलहाल तक उसने कई मामलों में कमेंट भी किया है. मनीष और अजीत जेल के वार्ड नंबर आठ में बंद हैं. जहां से लगातार वह सोशल साइट्स के जरिये लगातार सभी तरह के कामों में सक्रिय हैं.
जेल मैनुअल की परवाह नहीं किसी को
जेल प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं हो, यह समझ से परे हैं. जेल मैनुअल के अनुसार, जेल में बंद कैदी को मोबाइल, इंटरनेट, पैसे समेत अन्य किसी तरह के बाहरी सामान का उपयोग करना या रखना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है.
जेल के अंदर कैदियों के लिए विशेष नियम-कानून का पालन करते हुए परिजनों से बात करने की टेलीफोन सुविधा मुहैया करायी जाती है. इसके अलावा इन्हें जो भी सुविधाएं मुहैया करानी होती हैं, वह सभी जेल प्रशासन के स्तर पर ही दी जाती है. इसके अलावा जेल में नियंत्रित रूप से जैमर लगाने या की भी योजना बनी थी, जो भी जमीन पर नहीं उतर पायी है.
जेल में कैदियों को सुविधाएं देने को लेकर कई प्रयास हुए हैं, लेकिन सुरक्षा और इस तरह की गतिविधि को रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास जेल प्रशासन की तरफ से अब तक नहीं हुए हैं.
ऐसी स्थिति राज्य की अन्य जेलों की भी
राज्य के अन्य जेलों की भी स्थिति ऐसी ही है. यह सिर्फ औरंगाबाद जेल का अपडेट उदाहरण है. पटना के बेऊर समेत अन्य बड़े जेलों में बंद कई बड़े और छोटे कैदियों को भी मोबाइल की सुविधा मिलती है. सूत्र बताते हैं कि बस इसके लिए जेल प्रशासन से सेटिंग करनी पड़ती है. मोबाइल से लेकर खाने-पीने की तमाम सुविधाएं उन्हें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं. जेल में बंद रहते हुए भी वह अपनी गतिविधि को बनाये रखते हैं.

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