पटना सहित पांच विवि ने नहीं माना सरकार का आदेश
उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण के आंकड़ों की एंट्री नहीं कराने पर अपर सचिव शिक्षा ने लिखा कड़ा पत्र पटना : राज्य के पांच विश्वविद्यालय और दो अन्य हायर एजुकेशन संस्थानों ने सरकार के आदेश को नहीं माना. शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार याद दिलाने के बाद भी उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण 2017 -18 के लिए अपना और अपने […]
उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण के आंकड़ों की एंट्री नहीं कराने पर अपर सचिव शिक्षा ने लिखा कड़ा पत्र
पटना : राज्य के पांच विश्वविद्यालय और दो अन्य हायर एजुकेशन संस्थानों ने सरकार के आदेश को नहीं माना. शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार याद दिलाने के बाद भी उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण 2017 -18 के लिए अपना और अपने अधीन महाविद्यालयों के आंकड़ों की आनलाइन इंट्री नहीं करायी. शिक्षा विभाग के अपर सचिव मनोज कुमार ने इस संबंध में कुलसचिवों और निदेशकों को पत्र लिख नाराजगी प्रकट की है.
भारत सरकार द्वारा भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण कराया गया जा रहा है. वर्ष 2017 -18 के लिए हुए सर्वे के तहत प्रदेश के विश्वविद्यालय एवं अन्य नोडल संस्थानों को 30 सितंबर 2017 की स्थिति के अनुसार अपना और विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले महाविद्यालयों का आंकड़ा निर्धारित प्रपत्र (डीसीएफ वन और डीसीएफ टू) में आनलाइन एंट्री करानी थी. पटना विवि पटना, मगध विवि बोध गया, डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय विवि पूसा समस्तीपुर, नव नालंदा महाविद्यालय नालंदा, केके विश्वविद्यालय नालंदा, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना और इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी पटना ने अभी तक यह एंट्री पूर्ण नहीं करायी हैं. इस संबंध में अपर सचिव शिक्षा ने पांचों विश्वविद्यालय के कुल सचिव तथा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी पटना के निदेशकों को कड़ा पत्र लिखा है. अपर सचिव मनोज कुमार ने लिखा है कि बार-बार स्मार पत्रों एवं राज्य सर्वे इकाई द्वारा दूरभाष पर याद दिलाने के बाद भी आॅनलाइन डाटा एंट्री पूर्ण नहीं करायी है. यह चिंता का ही विषय नहीं बल्कि सरकार के आदेश की अवहेलना है.
विश्वविद्यालयों ने हर बार की पत्रों की अनदेखी
उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण 2017 -18 की रिपोर्ट के अाधार पर भारत सरकार उच्च शिक्षा के लिये नीति और योजना तैयार करेगी. इस महत्वपूर्ण डाटा के लिये अपर सचिव शिक्षा मनोज कुमार ने पटना विवि पटना, मगध विवि बोध गया, डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विवि पूसा समस्तीपुर, नव नालंदा महाविद्यालय नालंदा, केके विवि नालंदा, इंदिरा गांधी आर्युविज्ञान संस्थान पटना और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी पटना को बीती 30 जनवरी, 28 फरवरी और 12 मार्च को पत्र लिखा लेकिन हर बार उसकी अनदेखी की गयी.