30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो से नहीं मिली मान्यता, पीयू के डीडीई में इस बार भी एडमिशन के आसार नहीं

पटना : पटना विश्वविद्यालय (पीयू) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय (डीडीई) में डिस्टेंस कोर्स के लिए इस वर्ष भी एडमिशन के आसार नहीं दिख रहे हैं. पीयू में ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी है, लेकिन डीडीई के लिए आॅनलाइन आवेदन नहीं लिया जा रहा है. इससे बीए-बीकॉम की पांच हजार व अन्य विभिन्न वोकेशनल कोर्सों […]

पटना : पटना विश्वविद्यालय (पीयू) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय (डीडीई) में डिस्टेंस कोर्स के लिए इस वर्ष भी एडमिशन के आसार नहीं दिख रहे हैं. पीयू में ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी है, लेकिन डीडीई के लिए आॅनलाइन आवेदन नहीं लिया जा रहा है. इससे बीए-बीकॉम की पांच हजार व अन्य विभिन्न वोकेशनल कोर्सों में भी अच्छी खासी सीटें खाली रह जायेंगी.
दूर दराज के वैसे छात्र जो पीयू से डिस्टेंस लर्निंग में पढ़ना चाहते हैं, उनको उम्मीद थी कि इस सत्र में डीडीई को मान्यता मिल जायेगी, पर उनकी यह ख्वाहिश पूरी होती नहीं दिख रही है. उनके लिए एक समय का बेस्ट सेंटर माने जाने वाले इस संस्था की दुर्दशा से वे भी नाराज और परेशान हैं. छात्रों की पीयू से पढ़ने की ख्वाहिश कितनी पूरी होती है वह भविष्य के गर्भ में है.
सिर्फ रेगुलर कोर्स में बीए, बीएससी, बीकॉम व बीएफए कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन लिये जा रहे हैं. विवि प्रशासन लगातार दावा कर रही थी और पिछले ही सत्र में नामांकन के लिए स्वीकृति प्राप्त कर लेलेने का दम भर रही थी, लेकिन यूजीसी के डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (डेब) ने मान्यता नहीं दी.
इसके बाद विवि ने अगले सत्र में हर हाल में नामांकन के लिए मान्यता ले लेना का दावा किया, लेकिन उसमें भी सफलता मिलती नहीं दिख रही है. हालांकि विवि कह रहा है कि वे प्रयास में लगे हैं और जल्द ही उन्हें मान्यता प्राप्त हो जायेगी और नामांकन ले पायेंगे.
डिस्टेंस कोर्स के लिए नहीं लिया जा रहा ऑनलाइन आवेदन, पिछले सत्र में भी नहीं हो पाया था एडमिशन
बीए-बीकॉम की पांच हजार और
वहां चल रहे कई वोकेशनल कोर्स की भी सीटें रहेंगी खाली
इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार
डीडीई के यह दुर्दशा कोई एक दिन में नहीं हुई है. इसके पीछे जो कारण है, वह है विवि प्रशासन की लापरवाही और डीडीई की लगातार अनदेखी.
दूसरी तरफ छात्रों के पास इग्नू और एनओयू जैसे सशक्त विकल्प भी मिलते चले गये लेकिन विवि ने इसकी भी अनदेखी करते हुए डीडीई को सुधारने के बजाये उसे वैसे का वैसे छोड़ दिया. हालात दिन प्रतिदिन बदलते गये और फिर अब यह हालत है.
डिस्टेंस एजुकेशनल ब्यूरो से अभी तक डीडीई को मान्यता नहीं मिली है, इसलिए इसकी नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की गयी है. डेब की मुख्य शर्त ‘नैक’ की मान्यता का होना है. विवि इसके लिए प्रयास कर रहा है.
मई में सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) अपलोड कर दिया जायेगा. इसके बाद हम यह स्टेटस डेब को भेजेंगे. अगर समय रहते मान्यता मिल जाती है तो डीडीई में नामांकन इस सत्र में लिया जायेगा.
– प्रो एनके झा, स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन, पीयू
मान्यता नहीं मिलने से आर्थिक रूप से कमजोर
डीडीई को मान्यता नहीं मिलने से विवि को बड़ी आर्थिक क्षति हो रही है. जानकार बताते हैं कि एक समय में विवि का सबसे अधिक अर्थोपार्जन डीडीई से ही होता था. जितनी राशि कॉलेजों से विवि को नहीं आती थी उतनी डीडीई से आती थी और विवि के कई तरह के आर्थिक खर्चे डीडीई से ही चलते थे.
डीडीई की बात करें तो उसके पास अभी भी उस समय की काफी राशि अकाउंट में मौजूद है जिससे उसके नये भवन बनाने की बात की जाती रही है. इसके लिए सैदपुर में जमीन एलॉट हुआ था. पहले यहां सीटें फूल हो जाती थीं लेकिन धीरे-धीरे सीटें खाली रहने लगीं. एक सत्र पीछे की बात करें तो बमुश्किल 30 से 35 प्रतिशत सीटें ही फुल हो पा रहीं थीं. वहीं यहां पीजी का कोर्स भी चलता थी.
उसकी मान्यता भी समाप्त हुए एक दशक हो गया, क्योंकि उन मानकों को यह पूरा नहीं कर पा रही थी जिसमें मुख्य रूप से लेशन (पाठ्यक्रम की पुस्तकों) का अपडेट नहीं होना और इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई कमियां बतायीं गयीं थीं. धीरे धीरे इसमें और ह्रास होता गया और अब तो यूजी की भी मान्यता नहीं रही.
‘नैक’ नहीं होने से फंसा पेंच
यूजीसी के डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो के द्वारा जो मुख्य शर्त रखी गयी है वह है विवि को अब डिस्टेंस के लिए नैक का होना जरूरी है. जिसमें विवि प्रशासन वर्षों से लगा है.
अभी भी प्रयास जारी है. मिली जानकारी के अनुसार अब तक एसएसआर अपलोड नहीं हुआ है और वह मई-जून से पहले हो भी नहीं सकता. मतलब कि जुलाई या अगस्त से पहले टीम विजिट नहीं हो सकता. उसके बाद ही मान्यता के रूप में कोई ग्रेड मिलेगा. यह जब भी हो पर इस सत्र से पहले होता तो नहीं दिख रहा. अगर नैक मिल भी जाता है तो फिर उसके बाद पत्राचार करते और डीडीई को मान्यता मिलना इस सत्र में तो संभव नहीं दिख रहा है.
स्टडी मेटेरियल अपडेट नहीं
डीडीई के ‘लेशन’ मतलब स्टडी मेटेरियल जो छात्रों को विवि की ओर से दिये जाते हैं वह अपडेट नहीं हैं. वहीं यूजीसी का सिलेबस लगातार अपडेट हो रहा है और नेट-जेआरएफ समेत तमाम तरह की परीक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है.
दूसरी तरफ यहां अभी भी पुराने सिलेबस से पुराना लेशन पढ़ाया जा रहा है. इसको लेकर भी यूजीसी की आपत्ति रहती है. हालांकि परीक्षाएं विवि के सिलेबस के अनुसार और साथ ही होते हैं. ऐसे में छात्रों को भी काफी दिक्कत होती है. बाहर से किताबें नहीं खरीदें तो उन्हें काफी मुश्किल हो जाती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें