पटना : पीएमसीएच में बच्ची का नहीं किया इलाज

चार घंटे तक शिशु वार्ड का लगाता रहा चक्कर, किया रेफर पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में आये दिन लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले सप्ताह बच्ची की मौत का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा कि फिर से वार्ड के डॉक्टरों ने लापरवाही दिखा दी है. दरअसल भागलपुर से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2018 9:05 AM
चार घंटे तक शिशु वार्ड का लगाता रहा चक्कर, किया रेफर
पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में आये दिन लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले सप्ताह बच्ची की मौत का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा कि फिर से वार्ड के डॉक्टरों ने लापरवाही दिखा दी है.
दरअसल भागलपुर से आये नंदन कुमार 10 दिन के नवजात को बुधवार को पीएमसीएच में इलाज कराने ले गये. ओपीडी में आने के बाद वहां के डॉक्टरों ने अस्पताल के बच्चा वार्ड में जाने को कहा. लेकिन जब परिजन नवजात को शिशु वार्ड में इलाज कराने के लिए ले कर गये तो वहां डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया. इधर अस्पताल प्रशासन की मानें, तो नवजात का मल द्वार नहीं था.
चार घंटे तक काटते रहे चक्कर : नवजात के पिता नंदन कुमार ने बताया कि वह शिशु वार्ड के फर्स्ट फ्लोर पर गये, जहां डॉक्टरों ने आधे घंटे बैठने को कहा. समय पूरा होने के बाद जब वह फिर से डॉक्टर के पास गये, तो वहां पर मौजूद एक नर्स ने तीसरे फ्लोर पर जाने को कहा. पुन: वे तीसरे तल्ले पर ले कर गये लेकिन वहां पर मौजूद डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को जो बीमारी है उसका ट्रीटमेंट पीएमसीएच में नहीं हैं और फिर उसे इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में रेफर कर दिया. ऐसे में करीब चार घंटे तक शिशु वार्ड में मासूम बच्चे और परिजन घूमते रहे. नाराज परिजनों में काफी आक्रोश है.
करना पड़ता है रेफर
नवजात को मलद्वार नहीं था, जिसे सर्जरी कर बनाया जाना था. चूंकि यहां 24 घंटे पेडियाट्रिक सर्जरी की सुविधा नहीं है इस लिए परेशानी होती है. साथ ही डीएम और एमसीएच का कोर्स पीएमसीएच में अभी तक नहीं है. इस कारण मरीजों को परेशानी होती है और रेफर करना करना पड़ता है.
-डॉ विनय कुमार यादव, अध्यक्ष पीएमसीएच, जेडीए
क्या कहते हैं अधिकारी
इस बात की जानकारी मुझे नहीं मिली. हालांकि यहां 24 घंटे इमरजेंसी पिडियाट्रिक सर्जरी नहीं है, लेकिन गंभीर मरीजों को इमरजेंसी वार्ड के 102 नंबर कमरे में भर्ती कर ऑपरेशन कर दिया जाता है. मरीज ने पूछा नहीं होगा, यहां तक कि मामला मेरे पास भी नहीं आया है. जानकारी होती तो भर्ती जरूर कर लिया जाता.
-डॉ दीपक टंडन, अधीक्षक, पीएमसीएच

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