बिहार : कर्नाटक के बांदीपुर से वीटीआर में आयेंगे चार जंगली हाथी, लाने में खर्च होंगे 35 लाख

पटना : कर्नाटक के बांदीपुर नेशनल पार्क से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में चार हाथी आयेंगे. इन्हें लाने के लिए अगले एक-दो दिनों में चार सदस्यीय दल बांदीपुर रवाना होगा, जिसमें वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के साथ-साथ पटना जू के डॉक्टर आरके पांडे भी शामिल होंगे. हाथियों को ट्रक पर लाद कर सड़क मार्ग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2018 8:02 AM
पटना : कर्नाटक के बांदीपुर नेशनल पार्क से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में चार हाथी आयेंगे. इन्हें लाने के लिए अगले एक-दो दिनों में चार सदस्यीय दल बांदीपुर रवाना होगा, जिसमें वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के साथ-साथ पटना जू के डॉक्टर आरके पांडे भी शामिल होंगे.
हाथियों को ट्रक पर लाद कर सड़क मार्ग से लाया जायेगा. इसके लिए टीम बनायी गयी है. बांदीपुर नेशनल पार्क के कुछ विशेषज्ञ कर्मी भी हाथियों को लाने वाली टीम में शामिल रहेंगे. आज-कल में हाथी को लेकर वहां से टीम रवाना होगी.
जंगलों में आवागमन का सबसे बेहतर साधन
हाथी में कुछ ऐसे स्वाभाविक गुण होते हैं, जिस कारण जंगलों में आवागमन व गश्ती के लिए इसे प्राचीन काल से ही सबसे बेहतर साधन माना जाता रहा है. हाथी घने जंगलों के साथ-साथ छोटी पहाड़ियों के ढाल पर भी आसानी से चढ़ और उससे नीचे उतर सकता है. गहरी से गहरी नदी पार करने में भी वह सक्षम है, क्योंकि ऊंचे आकार के कारण वह डूबता नहीं और डूबने लायक पानी होने पर तैरना भी उसे आता है.
हाथियों को बांदीपुर नेशनल पार्क से राष्ट्रीय उच्चपथ से डाल्टेनगंज होते हुए औरंगाबाद और वहां से बेतिया और वाल्मीकि अभ्यारण्य ले जाया जायेगा. हाथियों को सड़क मार्ग से लाने मेें सात से 10 दिन लगेंगे. इस पर 35 लाख का खर्च अनुमानित है, जो सड़क जाम की वजह से देरी होने या किसी प्रकार की असामान्य स्थिति उत्पन्न होने पर और भी बढ़ सकता है. टीम में पटना जू के डॉक्टर के शामिल होने की वजह से हाथियों के स्वास्थ्य की सतत मॉनीटरिंग भी संभव होगी और उनके व्यवहार पर भी पूरी नजर रखी जायेगी.
निगरानी व बचाव में होगा इस्तेमाल
बांदीपुर से आ रहे चारों हाथी विशाल कद काठी के और पूरी तरह जंगली नस्ल के हैं. ये बाघ, शेर जैसे खूंखार जानवरों को देख कर भी नहीं डरते औेेर जंगल में उनके आसपास भी सहजता से घूमते हैं. विदित हो कि बांदीपुर नेशनल पार्क में इन दिनों 3500 से अधिक हाथी और 75 बाघ हैं, जो एक ही परिवेश में रहने के आदि हैं.
बेहतर ट्रेनिंग होने की वजह से पेट्रोलिंग, वाइल्ड लाइफ मॉनीटरिंग और बचाव कार्य के लिए भी ये हाथी बहुत उपयोगी हैं. देश के विभिन्न अभ्यारण्यों व राष्ट्रीय पार्कों में पहले भी ये बांदीपुर से ले जाये गये हैं, जहां विभिन्न कार्यों में इनका इस्तेमाल हो रहा है.
सर्कस का हाथी
वीटीआर में इन दिनों केवल एक हाथी है, जो सर्कस से मुक्त कराया गया था. बचपन से जंगल से दूर रहने की वजह से यह हाथी इतना डरपोक है कि हिरण को देख कर भी घबरा जाता है. इस वजह से पेट्रोलिंग के लिए इस हाथी का इस्तेमाल संभव नहीं है.

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