पटना : प्रदूषण के चलते बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, फेफड़े हो रहे कमजोर

पटना : धूम्रपान, अलाभकारी खान-पान और पर्यावरणीय कारकों जैसे वातावरण में धूल के बढ़ती मात्रा की वजह से फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. संक्रमित फेफड़ों से सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है. ज्यादातर मामलों में यह ट्रिगर अस्थमा का कारण बनता है. यह कहना है चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ सुधीर कुमार का. अस्थमा को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2018 8:40 AM
पटना : धूम्रपान, अलाभकारी खान-पान और पर्यावरणीय कारकों जैसे वातावरण में धूल के बढ़ती मात्रा की वजह से फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. संक्रमित फेफड़ों से सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है.
ज्यादातर मामलों में यह ट्रिगर अस्थमा का कारण बनता है. यह कहना है चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ सुधीर कुमार का. अस्थमा को लेकर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के मौके पर डॉ सुधीर ने कहा कि मेडिकल क्रांति की वजह से बहुत हद तक अस्थमा बीमारी पर काबू पाया जा चुका है. हालांकि लोगों में इस बीमारी को समझने में 60 साल लग गये.
डॉ सुधीर ने कहा कि प्रदूषण के चलते जहां अस्थमा होती है वहीं दूसरी ओर फेफड़े भी कमजोर होते हैं, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. वहीं एनएमसीएच के एसोसिएट प्रो. डॉ सरोज कुमार ने बताया कि अस्थमा की समस्या में फेफड़े उतनी हवा शरीर को नहीं पहुंचा पाते जितनी उसे चाहिए. फेफड़ों की कार्यक्षमता पूरे शरीर को प्रभावित करती है. साधारण टेस्ट जैसे स्पाइरोमेट्री टेस्ट या पल्मोनरी टेस्ट से इसका नंबर पाया जा सकता है.

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