बिहार : ‘बिना संघर्ष तेजस्वी को मिला विरोधी दल के नेता का पद’ : संजय सिंह
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में विरोधी दल के नेता पद की अपनी गरिमा होती है. पर तेजस्वी प्रसाद यादव को बिना संघर्ष के यह पद मिलने से इसकी मर्यादा नहीं समझ में आती. उनको इस पद की गरिमा का पता तब चलता जब वह इसे […]
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में विरोधी दल के नेता पद की अपनी गरिमा होती है. पर तेजस्वी प्रसाद यादव को बिना संघर्ष के यह पद मिलने से इसकी मर्यादा नहीं समझ में आती.
उनको इस पद की गरिमा का पता तब चलता जब वह इसे संघर्ष करके पाते. वैसे भी तेजस्वी, लालू प्रसाद के आवरण से जब तक मुक्त नहीं होंगे, तब तक उनको गलत और सही का फर्क पता नहीं चलेगा. राजनीति में किसी भी संसदीय पद की गरिमा क्या होती है लालू जी से पूछें.
शायद वह इस बार सही ज्ञान दे दें. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी का बॉडी लैंग्वेज साथ नहीं दे रहा है. उनमें अकुलाहट और बेचैनी है. अपशब्दों की क्या जरूरत है. उनको जेल जाने का डर सता रहा है. जब कोई डरता है तो उसकी भाषा ऐसे ही बिगड़ती है. कहीं ये बोल डुबा न दें. सत्ता पक्ष और विपक्ष सदन में आमने-सामने खड़े होते हैं.
सड़क पर जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष, धरना और प्रदर्शन करते हैं. पर आज-कल जिस भाषा में सत्ता पक्ष के नेताओं को चुनौती दे रहे हैं वह राजनीतिक मर्यादाओं को तोड़ती है. तेजस्वी सत्ता पक्ष के नेताओं से अखाड़े में दंगल करना चाहते हैं? अगर यही मंशा है तो राजनीति में नहीं आना चाहिए था. क्रिकेट की बजाय आपको कुश्ती में हाथ आजमाना चाहिए था.