पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के छोटे बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधा. सुशील मोदी ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बताया कि तेजस्वी यादव टाटा स्टील कंपनी की संपत्ति के भी मालिक हैं.उन्होंने बताया कि तेजस्वी यादव और लालू परिवार ने फेयरग्रो हॉल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्जी कंपनी का मुखौटे के रूप में इस्तेमाल कर टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की पटना शहर के पॉश इलाके में स्थित दो मंजिला मकान सहित जमीन के मालिक बन बैठे. आयकर विभाग ने तेजस्वी यादव की जिस संपत्ति को नौ फरवरी को जब्त किया है, वह संपत्ति टाटा कंपनी की थी.
साथ ही कहा कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में टाटा कंपनी को कई प्रकार से उपकृत किया जाता रहा है. वर्ष 1990 से 2000 तक संयुक्त बिहार के दौरान और बाद के वर्षों तक जिस स्थान पर टाटा कंपनी का दफ्तर और गेस्ट हाउस हुआ करता था, उस स्थान को 30 अक्तूबर, 2002 को तेजस्वी यादव व लालू परिवार द्वारा खरीदा हुआ दिखलाया गया है. यह स्थान पटना शहर के पॉश इलाके में स्थित 5, राइडिंग रोड में है. यह करीब पांच कट्ठा 22 धूर यानी 7105 वर्गफुट की जमीन है, जिस पर 5348 वर्गफुट में दो मंजिला मकान निर्मित है. इस स्थान पर फेयरग्रो हॉल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्जी कंपनी संचालित की जाती है, जिसके निदेशक तेजस्वी यादव हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 में जब यह जमीन और मकान लालू परिवार द्वारा खरीदा गया दिखाया गया है, उस समय मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थी. टाटा कंपनी की इस कीमती संपत्ति को खरीदने के लिए फेयरग्रो जैसी फर्जी कंपनी का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने बताया कि टाटा कंपनी की ओर से चीफ एमआईएस एडमिनिस्ट्रेशन, कोलकाता प्रभात सिन्हा और फेयरग्रो नामक फर्जी कंपनी की ओर से पटना के रोड नंबर-1, 33/A, श्रीकृष्णापुरी निवासी श्याम नारायण सिंह के पुत्र राजेश कुमार ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये हैं. निबंधन दस्तावेज में टाटा कंपनी को 65 लाख रुपये भुगतान किया गया है. इसके लिए फेडरल बैंक लिमिटेड का 24 अक्तूबर, 2002 को निर्गत डिमांड ड्राफ्ट संख्या- 333760 दिया गया है.
उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर टाटा कंपनी ने एक फर्जी कंपनी को ही अपनी संपत्ति क्यों बेची? आखिर क्यों टाटा कंपनी ने औने-पौने भाव पर एक बंद पड़ी कंपनी को संपत्ति दे दी? झारखंड बनने के मात्र दो वर्षों के भीतर राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में ही टाटा कंपनी ने अपनी संपत्ति क्यों बेच दी? दस वर्षों के बाद इस फर्जी कंपनी सहित टाटा कंपनी के मकान के मालिक तेजस्वी यादव और लालू परिवार कैसे हो गये? वर्ष 1990 से 2000 तक लालू-राबड़ी के 10 वर्षों के शासनकाल में टाटा कंपनी पर किये गये उपकार के बदले टाटा स्टील ने प्रेमचंद्र गुप्ता के लोगों की कंपनी फेयरग्रो को अपनी संपत्ति लिख दी. कुछ ही वर्षों बाद डिलाइट मार्केटिंग के समान तेजस्वी कंपनी सहित संपत्ति के मालिक बन बैठे. यह राजेश कुमार कौन है, जिसने लालू परिवार के लिए 65 लाख रुपये का भुगतान किया?
टाटा कंपनी के कोटे पर मेडिकल में कराया गया लालू और उनके मंत्रियों की बेटियों का नामांकन
सुशील कुमार मोदी ने लालू परिवार के अन्य सदस्यों पर भी हमला करते हुए कहा कि उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती का जमशेदपुर स्थित टाटा मेडिकल कॉलेज में नामांकन उनकी योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि टाटा कंपनी के कोटे से हुआ था. वहीं, लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य और लालू के मंत्री अनवर अहमद की बेटी का नामांकन भी टाटा मेडिकल कॉलेज में वर्ष 1998 में टाटा कोटे से कराया गया था. इसके अलावा लालू प्रसाद के एक और मंत्री व अलकतरा घोटाले के आरोपी इलियास हुसैन की बेटी आसमा का नामांकन भी टाटा मेडिकल कॉलेज में कंपनी के कोटे से कराया गया.