पटना : जेईई मेन के रिजल्ट में कई अभ्यर्थियों को सफलता हाथ लगी तो अनेक को असफलता. कट-ऑफ के जादुई आंकड़े को प्राप्त करने वाले कई अभ्यर्थियों को जेईई मेन का टिकट मिल गया. अलबत्ता इनमें ऐसे अनेक अभ्यर्थी भी हैं, जिन्हें रैंक में पिछड़ने का मलाल रह गया. कुल 360 अंकों में जेनरल का कटऑफ 74 रहा.
इसमें कटऑफ के करीब 76 अंक पानेवाले छात्र का रैंक 1 लाख 6 हजार 752 रहा. परीक्षा में हर अभ्यर्थी के लिए एक-एक नंबर महत्वपूर्ण रहा. एक नंबर के कारण रैंक में औसतन 2500 तक का अंतर हो सकता है. रिजल्ट में इसके कई उदाहरण भी देखने को मिले. शहर के ही अमित कुमार को परीक्षा 91 अंक मिले हैं और उसका रैंक 70 हजार 329 है, वहीं 91 अंक पानेवाले अविनाश कुमार का रैंक 74 हजार 302 है. इस तरह एक नंबर के अंतर से रैंक का अंतर 3 हजार 973 हो गया.
रैंक का अंतर
इसके अलावा दूसरे उदाहरण के रूप में दो अन्य छात्रों के रिजल्ट को लिया जा सकता है. जेईई मेन में 82 अंक पानेवाली छात्रा सृष्टि को 90 हजार 962वां रैंक मिला है. वहीं 76 अंक पानेवाले छात्र का रैंक 1 लाख 6 हजार 752 है. इस तरह छह अंकों के अंतर पर रैंक का अंतर 15 हजार 790 है.
कैसे तय होता है रैंक
जानकार बताते हैं कि टाई ब्रेकिंग फार्मूला के आधार पर रैंक तय किया जाता है. इसमें तीनों विषय फिजिक्स, केमेस्ट्री व मैथ के प्राप्तांक को देखा जाता है. टाइ ब्रेकिंग के तहत सबसे पहले उस विषय को देखा जाता है, जिसमें औसतन प्राप्तांक सबसे कम होता है. उस विषय में सबसे अधिक अंक प्राप्त करनेवाले विद्यार्थी को रैंक में प्राथमिकता दी जाती है. उसके बाद इसी तरह दूसरे व तीसरे विषय को देखा जाता है. उदाहरण के लिए इस बार अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम छह रैंक प्राप्त करनेवाले छात्र हैं, जिनके प्राप्तांक एक समान (350) हैं.
जेईई मेन में एक-
एक अंक महत्वपूर्ण है. एक नंबर के अंतर के कारण रैंक काफी पिछड़ जाता है.
इसके कई उदाहरण हैं. इस बार भी कई उदारहण देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में छात्रों को परीक्षा के दौरान काफी सजग रहना चाहिए.
पंकज, विशेषज्ञ,