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लालू के स्वास्थ्य पर सहानुभूति की सियासत, रिम्स में शिफ्टिंग के मुद्दे पर RJD उठायेगी यह राजनीतिक कदम, पढ़ें

पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. बिहार की सियासत के मुख्य केंद्र बिंदू रहने वाले लालू इन दिनों चारा घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे हैं, वहीं पूरा परिवार बेनामी संपत्ति के मामले में जांच एजेंसियों […]

पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. बिहार की सियासत के मुख्य केंद्र बिंदू रहने वाले लालू इन दिनों चारा घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे हैं, वहीं पूरा परिवार बेनामी संपत्ति के मामले में जांच एजेंसियों की रडार पर है. लालू परिवार की कई बेनामी संपत्ति को एजेंसियों ने जब्त कर लिया है, वहीं कई संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई चल रही है. इस बीच लालू को खराब स्वास्थ्य की वजह से दिल्ली एम्स ले जाया गया था और एम्स के चिकित्सकों द्वारा ग्रीन सिग्नल दिये जाने के बाद उन्हें दोबारा रांची के रिम्स शिफ्ट कर दिया गया. राजद की ओर से इसे साजिश बताया गया, वहीं इस शिफ्टिंग का लालू ने भी विरोध किया था. अब लालू के स्वास्थ्य को लेकर राजद जनता के बीच जाने का मन बना रही है.

कहते हैं कि सियासत में मुद्दा कोई भी हो, उसे शामिल करने से कोई भी पार्टी और नेता गुरेज नहीं करते.लालू के स्वास्थ्य का मुद्दा भी अब राजद के लिए राजनीति का कारण बन गया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि अब वह इस मुद्दे को जनता के बीच ले जायेंगे. उधर रिम्स में लालू यादव को कॉर्डियोलॉजी ब्लॉक में रखा गया है, चिकित्सकों का कहना है कि लालू यादव की सेहत बिल्कुल ठीक है. उन्हें रिम्स के तीसरे तल्ले के कमरा नंबर तीन में रखा गया है, जहां सीसीटीवी कैमरा भी एहतियात के तौर पर लगाया गया है. राजद को इस सारी कवायद में सहानुभूति का एंगल दिख रहा है. पार्टी को लग रहा है कि यदि इस मुद्दे को जनता के बीच लाया जाये, तो लोग काफी भावुक होंगे और वोट बैंक मजबूत होगा. राजद लालू के स्वास्थ्य को सियासत में सहानुभूति का राजनीतिक कार्ड मानकर चल रही है.

वहीं दूसरी ओर भाजपा का यह दावा है कि सजायाफ्ता के लिए सहानुभूति बटोरने की राजद की कोशिश बेकार जायेगी. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जांच सेसच्चाई सामने आ रही है. सीबीआई, ईडी और आयकर. यह तीन ऐजेंसिया लालू परिवार की बेनामी संपत्ति का लेखा-जोखा जुटा रही हैं. आने वाले कई सालों तक लालू परिवार को बेनामी संपत्ति के जांच का सामना करना पड़ेगा. लालू परिवार को अपनी कमाई के बारे में जनता को जवाब देना पड़ेगा. वहीं इस मसले पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव कहते हैं कि इसमें शिकंजा कसने की क्या बात है, जो सच्चाई है वह सामने उभरकर सामने आ रही है. कानून अपना काम कर रहा है, बाकि सब राजनीतिक स्टंट है. उन्होंने कहा कि कहीं कोई साजिश नहीं है, जो सच्चाई है, वह सामने आ रहा है. देश की जनता इस बात को पूरी तरह समझ रही है. वहीं जदयू नेता सुनील कुमार का कहना है कि इस बात को वह जात-पात का रंग दे दें या राजनीतिक साजिश करार दें, यह अलग बात है.

इससे पूर्व लालू प्रसाद को एम्स से रिम्स शिफ्ट किए जाने पर प्रतिपक्ष के नेता और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने एम्स प्रशासन पर सवाल उठाए थे. तेजस्वी यादव ने कहा था कि आखिर किस दबाव में लालू यादव को रिम्स शिफ्ट किया जा रहा है? तीन- चार दिन पहले की एम्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि लालू प्रसाद की तबीयत ठीक नहीं है और वो इतने कम दिनों में कैसे ठीक हो गये? तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची के दिल्ली भेजा गया है. सभी को मालूम है कि लालू प्रसाद की किडनी 60 फीसदी खराब है और साथ में डायबिटिज और ब्लड प्रेशर के मरीज हैं. एम्स प्रशासन को अचानक शिफ्ट करने का फैसला करना चौंकाने वाला है.

वहीं शिफ्टिंग के समय लालू ने कहा था कि अगर मुझे एम्स से रांची मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है और इससे मेरे जीवन पर कोई खतर पैदा होता है तो इसकी पूरी जवाबदेही आप लोगों की होगी. एम्स के एक प्रवक्ता ने बतायाथाकि आयुर्विज्ञान संस्थान में उपचार से लालू की सेहत में काफी सुधार हुआ है और वह अब यात्रा कर सकते हैं. प्रवक्ता ने कहा था कि उनकी सेहत में बहुत सुधार हुआ है और उनके उपचार के लिए गठित मेडिकल बोर्ड की सलाह पर उन्हें लंबे समय तक चलने वाले उपचार के लिए रांची मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा था कि उनकी हालत स्थिर है और वह यात्रा करने के लिए फिट हैं. राजद इन सारे मसलों को लेकर जनता के बीच जाने की प्लानिंग कर रही है. वहीं दूसरी ओर विपक्ष का कहना है कि राजद की यह सारी कवायद फेल हो जायेगी. वहीं राजद का यह फैसला बताने के लिए काफी है कि सियासत में अस्पताल की बेड पर पड़ा मरीज भी एक मुद्दा बन सकता है.

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