बिहार और झारखंड के पांच जिलों को मिलकर करना होगा काम : निशिकांत
भागलपुर :115 पिछड़े जिले हैं. गोड्डा भी पिछड़े जिले में शामिल है, इसलिए यह कार्यक्रम गोड्डा में होना चाहिए था. भागलपुर मेरा घर है और यहां कार्यक्रम होना गर्व की बात है, इसलिए यहां आकर मैं अच्छा महसूस कर रहा है. पूरे देश में कृषि कार्यशाला मनायी जा रही है, ताकि किसानों को जागरूक कर […]
भागलपुर :115 पिछड़े जिले हैं. गोड्डा भी पिछड़े जिले में शामिल है, इसलिए यह कार्यक्रम गोड्डा में होना चाहिए था. भागलपुर मेरा घर है और यहां कार्यक्रम होना गर्व की बात है, इसलिए यहां आकर मैं अच्छा महसूस कर रहा है.
पूरे देश में कृषि कार्यशाला मनायी जा रही है, ताकि किसानों को जागरूक कर उनकी आय में बढ़ोतरी की जा सके. उक्त बातें एक स्थानीय होटल में बिहार में फूड प्रोसेसिंग को लेकर आयोजित एक सेमिनार में गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने कहीं. श्री दुबे ने कहा कि उद्योग में जो जीडीपी ग्रोथ होता है, उसी तरह से कृषि में चावल में कितना फायदा हुआ, फल में कितना फायदा हुआ यही बात समझाने के लिए यहां पर प्रेजेंटेशन दिखाया जा रहा है. कतरनी व जर्दालू का जीआई टैग करा दिया गया है, लेकिन कतरनी मात्र जगदीशपुर प्रखंड में ही कतरनी धान होता है और जर्दालू सुलतानगंज में ही होता है.
दोनों का उत्पादन घट रहा है. किसानों को जागरूक कर उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी. इससे पहले यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा. इसमें सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है. गंगा बटेश्वर पंप नहर योजना कहलगांव में शुरू हुई. यहां से गोड्डा व महगामा भी सिंचाई के लिए पानी जायेगा. बिहार और झारखंड की सीमा अलग जरूर हुई, लेकिन सड़क, रेल व सिंचाई आदि सुविधा में एक ही है.
पूरा इलाका मिट्टी व पानी का है. इस क्षेत्र में विकास तभी संभव है, जब भागलपुर, बांका, गोड्डा, देवघर व दुमका मिलकर काम करेगा. इस दौरान उन्होंने भागलपुर में मेगा फूड पार्क नहीं खुलने के लिए स्थानीय राजनेताओं को जिम्मेवार बताया. उन्होंने कहा कि गोड्डा व झारखंड क्षेत्र में कई ऐसी परियोजना है, जो भागलपुर के कारण रुकी हुई है. बिहार सरकार ने फंड देने से मना कर दिया. उसका पैसा भी झारखंड सरकार दे रही है.