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पटना हाइकोर्ट ने तय की निजी बीएड कॉलेजों में फीस, अब ऐसा नहीं कर सकेंगे कॉलेज, पढ़ें

पटना : राज्य के निजी बीएड कॉलेजों के फीस निर्धारण के मामले में हाई कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एक कमिटी गठित की है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने मामले पर सुनवाई करते हुए गठित कमिटी को कॉलेजों के खर्च का आंकलन करने का जिम्मा दिया […]

पटना : राज्य के निजी बीएड कॉलेजों के फीस निर्धारण के मामले में हाई कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एक कमिटी गठित की है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने मामले पर सुनवाई करते हुए गठित कमिटी को कॉलेजों के खर्च का आंकलन करने का जिम्मा दिया हैं. निजी बीएड कॉलेजों के फीस निर्धारण के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवायी की. अदालत ने कहा कि इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाये. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने कहा कि इस कमेटी में चांसलर के प्रधान सचिव समेत डिप्टी अकाउंटेंट जनरल स्तर के पदाधिकारी, शिक्षा विभाग के सचिव समेत पांच अधिकारी शामिल रहेंगे. यह कमेटी कॉलेज के खर्च का आकलन करेगी. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई आठ मई को निर्धारित किया है.

कोर्ट ने इन कॉलेजों को अपने शिक्षकों व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का पूरा ब्योरा देने का निर्देश दिया है. इस कमेटी में चांसलर के प्रधान सचिव, डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के अधिकारी, शिक्षा विभाग के सचिव समेत 5 अधिकारी होंगे. राज्य सरकार ने इससे पूर्व बीएड कॉलेजों की फीस एक लाख रुपये निर्धारित किया था. इस आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गयी थी कि कॉलेज और शिक्षकों समेत गैर शैक्षणिक कर्मचारियों पर होने वाले खर्च कहीं ज्यादा है. इस मामले में 8 मई को फिर से सुनवाई की जायेगी.

कोर्ट ने कहा है कि निजी कॉलेज एक लाख 70 हजार रुपए से अधिक फीस नहीं ले सकते हैं, जबकि सरकार ने निजी कॉलेजों के लिए एक लाख रुपए फीस तय की थी. राज्य सरकार ने बीएड कॉलेजों की फीस एक लाख रुपये तय की थी. राज्य सरकार के फ़ीस तय करने के फैसले को निजी बीएड कॉलेजों ने हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. उनका कहना था कि सरकार को फीस निर्धारण करने का अधिकार नहीं है. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने बुधवार को ये फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि निजी बीएड कॉलेजों की फीस का निर्धारण यूजीसी की कमेटी तय करेगी और फीस किसी भी हाल में एक लाख 70 हजार से अधिक नहीं होनी चाहिए. हाइकोर्ट ने यूजीसी को फीस निर्धारण के लिए तीन महीने के अंदर कमेटी का बनाने का आदेश दिया है.

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