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बिहार के किसान अपने खेतों में वैज्ञानिकों से ज्यादा प्रयोग करते हैं, कृषि में बढ़ेगी सब्सिडी : नीतीश कुमार

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि यह कृषि रोड मैप के प्रभाव का ही नतीजा है कि हमने धान उत्पादन में चीन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. आज गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में आयोजित कृषि इनपुट अग्रिम अनुदान वितरण समारोह का उद्घाटनकरतेहुए नीतीश कुमार ने किसानों की सराहना की […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि यह कृषि रोड मैप के प्रभाव का ही नतीजा है कि हमने धान उत्पादन में चीन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. आज गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में आयोजित कृषि इनपुट अग्रिम अनुदान वितरण समारोह का उद्घाटनकरतेहुए नीतीश कुमार ने किसानों की सराहना की और कहा कि वे अपने खेतों में वैज्ञानिकों से ज्यादा प्रयोग करते हैं. मौके पर मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर अग्रिम इनपुट अनुदान संबंधित सॉफ्टवेयर का परिचालन किया. इसके साथ ही, 4 जिलों के 20173 किसानों के मोबाइल में ई–कैश संबंधित मैसेज चला गया. माननीय मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, पटना, किशनगंज तथा छपरा के कृषि उत्पादन बाजार समिति के प्रांगण का निर्माण एवं जीर्णाद्धार कार्य तथा बिहार राज्य बीज निगम के शेरघाटी में नवनिर्मित भवन तथा अत्याधुनिक बीज प्रसंकरण का उद्घाटन किया.साथ ही जैविक खेती एक झलक नामक पुस्तिका का भी विमोचन किया.

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि तीसरे कृषि रोड मैप की योजना का बहुत पहले से विभाग ने कार्य प्रारंभ कर दिया है. बिहार में 89 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है, जबकि 76 प्रतिशत लोग आज भी कृषि पर आजीविका के लिए निर्भर है. बिहार की लोगों ने 2005 में हमें राज्य की जवाबदेही सौपी थी. 2008 में पहले कृषि रोड मैप के कार्यान्वयन के बाद बीज प्रतिष्ठापन दर बढ़ा, यांत्रिकीकरण एवं जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया. 2012 में दूसरे कृषि रोड मैप को और वृहत् बनाते हुए भूमि, सिंचाई तथा बिजली के लिए अलग फीडर की व्यवस्था, हाइ स्कूलों में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने आदि के लिए कार्य किये गये. कृषि रोड मैपों के क्रियान्वयन का ही नतीजा है कि धान के मामले में चीन का रिकार्ड बिहार ने तोड़ा तथा बिहार गेहूं के मामले में राष्ट्रीय उत्पादकता से ज्यादा एवं मक्का के क्षेत्र में में राष्ट्रीय उत्पादकता से हम बहुत आगे हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य में जमीन की चकबंदी के लिए एरियल सर्वे का कार्य तेजी से किया जा रहा है. सब्जी के क्षेत्र में बिहार में अपार संभावनाएं है, कुछ जिलों में सभी प्रकार की खेती होती है. बिहार में जैविक सब्जी उत्पादन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता श्री जोसेफ स्टीगलेस ने कहा कि बिहार में किसान वैज्ञानिकों से ज्यादा अपने खेतों में प्रयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि सही मायने में जैविक खेती की जाये तो उससे फसलों की उत्पादकता बढ़ती है. जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा के किनारों को इसलिए चुना गया ताकि गंगा में रासायनिक अवशिष्ट न जाये. आज जैविक सब्जी के लिए इनपुट अग्रिम अनुदान का पायलट परियोजना शुरू किया गया है, अगले मौसम में भी पुन: अलग से अनुदान इसी तरह दिया जायेगा. उन्होंने किसान सलाहकारों एवं कृषि समन्वयकों को अपने कार्य के प्रति संवेदनशील रहने का सलाह दिया, ताकि उनको अपना आत्मसंतुष्टि हो सके.

उन्होंने कृषि विभाग को बधाई देते हुए कहा कि ई–कैश के माध्यम से किसानों को त्वरित योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. बिहार की जनसंख्या लगभग 12 करोड़ के आसपास है, जबकि राज्य में 8 करोड़ लोगों के पास मोबाइल है. इस पायलट परियोजना की सफलता आने वाले दिनों में अन्य योजनाओं के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि मेरा दो सपना है पहला किसानों की आमदनी में वृद्धि करना तथा दूसरा प्रत्येक भारतीय के थाल में एक बिहार व्यंजन हो. वहीं उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इसे कंप्यूटर का कमाल या जादू कह सकते हैं कि पहले जहां पैसा भेजने में महीनों लगता था, अब मिनटों में किसानों के खाते में पैसे पहुंच जाते हैं. कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक कोरिडोर का निर्माण, प्रत्येक जिले में एक जैविक गाँव की स्थापना, वर्मी कम्पोस्ट इकाई, गोबर गैस संयत्र आदि पर अनुदान की व्यवस्था की गई है. वर्ष 2005 के पहले जहां कृषि विभाग का बजट 20 करोड़ रुपये का होता था, वही वर्ष 2018–19 में 2,266 करोड़ रुपये कृषि का बजट है, इस प्रकार कृषि बजट में 123 गुणा वृद्धि हुई है. कार्यक्रम को कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने भी संबोधित किया. मौके पर हजारों किसान मौजूद थे.

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