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बिहार : दूध उत्पाद की मांग के आधे बाजार पर सुधा का कब्जा, 60 फीसदी घरों में सुधा दुग्ध के उत्पाद का होता हैं उपयोग
राजधानी पटना में 60 फीसदी घरों में सुधा के दुग्ध उत्पाद उपयोग में लाये जाते हैं पटना : पटना सहित आसपास के पांच जिलों में लगभग छह लाख लीटर दूध की मांग है. इस मांग की आधी जरूरत की पूर्ति सुधा डेयरी करता है. शेष दूध दूधियों के जरिये घरों में पहुंचता है. गुणवत्ता के […]
राजधानी पटना में 60 फीसदी घरों में सुधा के दुग्ध उत्पाद उपयोग में लाये जाते हैं
पटना : पटना सहित आसपास के पांच जिलों में लगभग छह लाख लीटर दूध की मांग है. इस मांग की आधी जरूरत की पूर्ति सुधा डेयरी करता है. शेष दूध दूधियों के जरिये घरों में पहुंचता है. गुणवत्ता के हिसाब से सुधा के उत्पाद बाजार में अच्छी साख रखते हैं.
सुधा मांग को पूरा करने के लिए पटना और उसके निकटवर्ती इलाकों से किसान सहकारी ग्रुप के जरिये दूध इकठ्ठा करता है. राजधानी में 60% घरों में सुधा के दुग्ध उत्पाद उपयोग में लाये जाते हैं. बता दें कि प्रभात खबर लगातार शहर और आसपास में लगनेवाली दूध मंडियों की पड़ताल कर रहा है. इससे पहले केमिकल से बनाये जा रहे दूध व पनीर की रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसी क्रम में मंगलवार को फुलवारीशरीफ स्थिति दूध फैक्ट्री की पड़ताल की गयी.
तीन लाख लीटर का औसत गर्मी में घटता है उत्पादन फुलवारीशरीफ सुधा डेयरी में औसतन लगभग
तीन लाख लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन किया जाता है. सुधा से दूध पटना सहित आसपास केपांच जिलों मसलन वैशाली, सारण, शेखपुरा और नवादा से दूध उत्पादक किसानों से लाया जाता है. इसके लिए इन जगहों पर 25 सौ किसानों की सोसायटी काम करती है. वहां पर बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर पर दूध का संग्रह किया जाता है. इसके लिए हाजीपुर में एक बड़ी क्षमता वाला चिलिंग सेंटर भी बनाया गया है. इस जगहों डेयरी में 92 फीसदी दूध आता है. बाकी आसपास के लोग सीधे डेयरी में दे जाते हैं. अधिकारी बताते हैं कि जुलाई से लेकर फरवरी तक चार लाख लीटर से अधिक दूध प्रतिदिन डेयरी में आता है, जबकि अप्रैल से लेकर जून तक ढाई लाख से तीन लाख लीटर तक दूध का संग्रह प्रतिदिन किया जाता है. गर्मी में औसतन तीन लाख लीटर दूध किसानों से डेयरी लेता है.
कितना है फैट व एसएनएफ
दूध को लेकर सुधा दूध कई तरह के प्रोडक्ट बनाती है. इसमें सभी प्रोजेक्ट में फैट और एसएनएफ की मात्रा निर्धारित की गयी है. एसएनएफ (साॅलिड नोट फैट) यानी दूध में पानी, वसा रहित ठोस पदार्थ, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज की मात्रा का निर्धारण होता है.
साफ-सफाई का ख्याल
सुधा डेयरी के प्रोडक्ट सामान्य दूध मंडियों में मिलने वाले दूध से गुणवत्ता के मामले में काफी अच्छे हैं. डेयरी में साफ-सफाई से लेकर हाईजीन का विशेष ख्याल रखा जाता है. दिन भर में पूरे प्लांट की दो बार सफाई की जाती है. दूध आने से लेकर पैकेजिंग तक दूध कई प्रोसेस से होकर गुजरता है. सभी प्रोडक्ट बनाने के लिए स्टैंडर्ड पैमाने का ख्याल रखा जाता है.
एक मिनट में 24 तरह की जांच करती है मशीन : डेयरी में दूध जिन जगहों से आता है, उन्हें कंपनी ने एक जांच किट दे रखी है. वहां से ही किसानों से मिलने वाले दूध की जांच कर ली जाती है. डेयरी में 90 फीसदी गड़बड़ी को वहीं पकड़ कर दूध लौटा दिया जाता है.
इसके बाद भी डेयरी में दूध जांच के लिए बाकायदा पैथोलॉजी का निर्माण किया गया है. वहीं डेयरी ने एक 60 लाख रुपये की नयी ऑटोमेटिक जांच मशीन मंगायी है. इसमें एक मिनट में दूध की 24 तरह से जांच होती है.
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