बिहार को विशेष दर्जा के मामले में विपक्ष ने भाजपा और नीतीश की नियत पर खड़ा किया सवाल
पटना : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के मामले में विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा सहयोगी भाजपा की नियत पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आवाम के साथ कियेगये वादे को पूरा करना चाहिए और मुख्यमंत्री को केंद्र पर दवाब बनाना चाहिए. बिहार विधानसभा में विपक्ष […]
पटना : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के मामले में विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा सहयोगी भाजपा की नियत पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आवाम के साथ कियेगये वादे को पूरा करना चाहिए और मुख्यमंत्री को केंद्र पर दवाब बनाना चाहिए.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने राजग पर हमला बोलते हुए आज कहा कि केंद्र और बिहार में भाजपा जदयू गठबंधन की सरकार है. ऐसे में प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग किससे की जा रही है. इसका जवाब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तथा केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को जनता को देना चाहिए.
दरअसल, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने हाल ही में प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जताये जाने के बाद तेजस्वी का यह बयान आया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कल कहा था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के मुद्दे पर भाजपा का साथ छोड़कर जदयू को उनकी पार्टी के साथ आना चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता और सुपौल की सांसद रंजिता रंजन से पूछे जाने पर कि क्या जदयू के महागठबंधन में वापस लौटने पर उनकी पार्टी इसका स्वागत करेगी, उन्होंने कहा कि यह तो समय तय करेगा. कांग्रेस विधायक अशोक राम और पार्टी के नवनिर्वाचित विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्र के साथ आज यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए रंजिता ने कहा कि प्रदेश की पिछली महागठबंधन सरकार में जबतक नीतीश हमलोगों के साथ थे, प्रदेश में अपराध पर जो नियंत्रण था. कल्याणकारी योजनाएं ठीक ढंग से चल रही थी. आज वह हर क्षेत्र में न केवल विफल साबित हुए हैं बल्कि सूबे में महिलाओं के साथ दुष्कर्म और दलितों पर अत्याचार की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय महासचिव और कटिहार से सांसद तारिक अनवर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2006 में बिहार विधानमंडल से इस आशय का प्रस्ताव भी पारित कराया था. उन्हें इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. उन्हें कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार पर इसके लिए दबाव बनाना चाहिए.