सवा लाख की मूर्ति के साथ सरगना पकड़ाया

मूर्तियों की तस्करी करनेवाले अंतराज्यीय गिरोह का परदाफाश पटना : अष्टधातु की काफी पुरानी मूर्तियों की चोरी कर दूसरे प्रांतों में बेचनेवाले अंतरराज्यीय गिरोह का पुलिस ने परदाफाश किया है. पुलिस ने इस गिरोह के सरगना रामविलास मंडल (कुसमाहा, अमरपुर, बांका) व गणोश सिंह (धौरैया रजाैल, बांका) को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों गोपालपुर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2014 6:06 AM

मूर्तियों की तस्करी करनेवाले अंतराज्यीय गिरोह का परदाफाश

पटना : अष्टधातु की काफी पुरानी मूर्तियों की चोरी कर दूसरे प्रांतों में बेचनेवाले अंतरराज्यीय गिरोह का पुलिस ने परदाफाश किया है. पुलिस ने इस गिरोह के सरगना रामविलास मंडल (कुसमाहा, अमरपुर, बांका) व गणोश सिंह (धौरैया रजाैल, बांका) को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों गोपालपुर थाने के बैरिया में किराये के मकान में रह रहे थे और काफी दिनों से मूर्तियों की तस्करी में संलिप्त थे.

उनलोगों से सवा फुट की मूर्ति बरामद की गयी है, जिसकी कीमत लाखों में आंकी जा रही है. बताया जाता है कि यह मूर्ति सैकड़ों साल पुरानी है और देखने से भगवान कृष्ण की प्रेमिका राधा की लग रही है. हालांकि इस पर पुलिस छानबीन कर रही है कि इनके पास यह मूर्ति कहां से आयी और किसे देना था. पूछताछ में दोनों ने बताया कि यह मूर्ति उन लोगों को पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति ने दी थी. वहीं एसएसपी मनु महाराज के अनुसार यह गिरोह मूर्तियों की चोरी करने के बाद बिहार के बाहर पश्चिम बंगाल, झारखंड समेत अन्य राज्यों में भी आपूर्ति करता था. नेपाल से भी इस गिरोह का संपर्क है. उन्होंने बताया कि इस गिरोह में 15 से 20 तस्कर शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.

पुलिस ने ग्राहक बन कर किया गिरफ्तार

एसएसपी को गुप्त सूचना मिली थी कि गोपालपुर थाने के बैरिया इलाके में गणोश सिंह नामक व्यक्ति सैकड़ों साल पुरानी एक मूर्ति की बिक्री कर रहा है. इसके बाद सिटी एसपी के नेतृत्व में सदर डीएसपी मुत्तफीक अहमद व गोपालपुर थानाध्यक्ष कृष्ण मुरारी की टीम ने ग्राहक के रूप में गणोश सिंह से संपर्क किया और मूर्ति खरीदने की इच्छा जाहिर की. इस पर गणोश सिंह ने मोटी रकम मांगी, तो पुलिस टीम तैयार हो गयी.

इसके बाद टीम उसके साथ बैरिया में ही सुबोध उर्फ पांडेय के घर में रहने वाले किरायेदार व सरगना रामविलास मंडल के पास पहुंच गयी. रामविलास मंडल ने जैसे ही मूर्ति निकाला, वैसे ही पुलिस ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद जब गिरफ्तार लोगों से पुलिस ने पूछताछ की, तो बरामद मूर्ति चोरी की निकली.

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