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विश्व नर्स दिवस आज : सरकारी अस्पतालों में नर्सों की 30% कमी

पटना : चिकित्सा जगत नर्सिंग के बिना पूरी तरह से अधूरी है. मरीजों के भावनाओं के साथ वह सीधे जुड़ी रहती हैं. नर्सिंग एक सामाजिक पेशा है. क्योंकि, नर्सें स्नेह व दुलार से रोगी की देखभाल करती है. भारत सहित पूरे देश में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. फ्लोरेंस नाइटइंगेल के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2018 7:03 AM
पटना : चिकित्सा जगत नर्सिंग के बिना पूरी तरह से अधूरी है. मरीजों के भावनाओं के साथ वह सीधे जुड़ी रहती हैं. नर्सिंग एक सामाजिक पेशा है. क्योंकि, नर्सें स्नेह व दुलार से रोगी की देखभाल करती है. भारत सहित पूरे देश में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है.
फ्लोरेंस नाइटइंगेल के जन्म दिवस के रूप में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. जिस प्रकार एक मां अपने बीमार बच्चे की देखभाल करती हैं. ठीक उसी प्रकार नर्स मां के रूप में काम करती है. बस अंतर सिर्फ इतना होता है कि उन्हें मां की जगह सिस्टर कहा जाता है.
अस्पताल में 60 प्रतिशत योगदान नर्सों का : बिना नर्सों का कोई भी अस्पताल अधूरा है. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान आदि सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ठीक करने में नर्सों का करीब 60 प्रतिशत योगदान होता है. ऑपरेशन थियेटर, मेडिकल आईसीयू, इमरजेंसी, जनरल वार्ड, ट्रांसप्लांट यूनिट आदि सभी विभागों में नर्सों की ड्यूटी लगायी जाती हैं. यहां तक कि भर्ती मरीजों को इंजेक्शन से लेकर दवाएं, जांच आदि समय-समय पर देना, ट्रीटमेंट करना आदि नर्सों का ही रोल है.
अस्पतालों में नर्सों की भारी कमी: पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, गार्डिनर रोड अस्पताल आदि सरकारी अस्पतालों में नर्सों की भारी कमी चल रही है.
पीएमसीएच व आईजीआईएमएस में मरीजों की संख्या के अनुपात में 30 प्रतिशत नर्सों की कमी हैं. इतना ही नहीं राजधानी के दो कॉलेज पीएमसीएच व आईजीआईएमएस में नर्सिंग की पढ़ाई के लिए अलग से कॉलेज बनाया गया है. यहां पढ़ाई तो होती है, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी हैं. पीएमसीएच में सिर्फ सात नर्स की बदौलत सैकड़ों छात्राएं हैं. इतना ही नहीं पीएमसीएच नर्सिंग कॉलेज में तीन नर्स को छोड़ बाकी सभी संविदा पर ही कार्यरत हैं.
चुनौतियों का सामना
पीएमसीएच नर्सिंग कॉलेज में पोस्टेड नर्स सुनीता गुप्ता ने बताया कि नर्सों को इस पेशे से जुड़ी खुशियों के साथ-साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. क्योंकि, जरा सी भी लापरवाही होने से मरीज को भारी नुकसान हो सकता है. मरीज को दवा देनी हो, उनका खून टेस्ट करने, शरीर से खून निकालना हो, नसों की ओर शरीर में दवाइयां चढ़ानी हो या सिर्फ मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना हो इन सभी कामों में एक नर्स को बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है.सुनीता ने कहा कि नर्स को गलती करने की कोई गुंजाइश नहीं होती है.

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