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बिहार : पावापुरी व बेतिया मेडिकल कॉलेजों को जल्द मिलेगी एमसीआई की मान्यता
पावापुरी व बेतिया मेडिकल कॉलेजों को जल्द मिलेगी एमसीआई की मान्यता सेहत पर फोकस . केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा पटना :पावापुरी और बेतिया मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) अगले सत्र के पहले मान्यता दे देगी. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि मैंने इस […]
पावापुरी व बेतिया मेडिकल कॉलेजों को जल्द मिलेगी एमसीआई की मान्यता
सेहत पर फोकस . केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा
पटना :पावापुरी और बेतिया मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) अगले सत्र के पहले मान्यता दे देगी. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि मैंने इस मामले को देखा है. एमसीआई का कहना है कि बिहार के नये मेडिकल कॉलेजों में संसाधनों की कमी है. मेरा भी मानना है कि बिना संसाधन के मान्यता देने के भी अपने नुकसान हैं. इस कारण राज्य सरकार के साथ बातचीत भी हुई है.
राज्य सरकार वहां डॉक्टरों की कमी दूर करने और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है. चौबे रविवार को भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. इधर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा एमसीआई ने जो भी कमियां बतायी हैं, उन्हें दूर किया जायेगा. इस दिशा में प्रयास शुरू हो गया है. मालूम हो कि दोनों मेडिकल काॅलेज की स्थापना 2007- 8 में हुई थी.
मार्च में एमसीआई ने मान्यता नहीं देने को लेकर लिखा था पत्र : मार्च में एमसीआई की असिस्टेंट सेक्रेट्री एस सविता ने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि संसाधनों की कमी के कारण पावापुरी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की डिग्री को मंजूरी नहीं दी जा सकती है.
एक महीने के अंदर इस मामले में राज्य सरकार से अपना पक्ष स्पष्ट करने की मांग की गयी थी. राज्य सरकार के पक्ष रखने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की डिग्री को एमसीआई ने मंजूरी नहीं दी थी. इसी साल 7, 21 और 22 फरवरी को एमसीआई ने कॉलेज का निरीक्षण किया था और इसके बाद पांच मार्च को इस संबंध में निर्णय लेने के लिए एक बैठक बुलायी गयी थी. 20 मार्च को इस संबंध में स्पष्ट तौर पर निर्णय ले लिया गया.
एमसीआई ने पावापुरी मेडिकल कॉलेज में ये कमियां बतायीं
कॉलेज में फैकेल्टी की 43.39% कमी
ब्लड बैंक, िसटी स्कैन का अभाव
247 की जगह पर 73 ही नर्सिंग स्टाफ
179 की जगह पर सिर्फ 32 पैरामेडिकल व नॉन टीचिंग स्टाफ
ब्यॉज या गर्ल्स कॉमन रूम में ट्वायलेट अटैच नहीं
बेड की ऑक्यूपेंसी 8.08% थी यानी निरीक्षण के दिन सुबह 10 बजे तक बेड पर इतने ही मरीज पाये गये.
ओपीडी में अटेंडेंस 800 की जगह 737 था
7 की जगह िसर्फ एक ओटी काम कर रहा था. उसमें भी केवल दो टेबल थे
लाइब्रेरी में सात हजार की जगह 3585 किताबें ही उपलब्ध
नॉर्मल डिलिवरी भी नहीं हुई थी
आईसीयू काम नहीं कर रही है, वहां
कोई सामग्री भी नहीं थी
7 लैबोरेटरी की जगह पांच ही कार्यरत
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