पटना : जदयू प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की विधान परिषद में विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता पर बड़ा सवाल किया है. आज मीडिया से बातचीत में नीरज कुमार ने कहा कि राजद अल्पसंख्यकों को बराबर छलते रही है. उन्होंने राजद से सवाल करते हुए पूछा कि राजनीति में हिस्सेदारी को लेकर आखिर राजद को अल्पसंख्यकों से इतनी नफरत क्यों है? नीरज कुमार ने कहा कि बिहार विधान परिषद में अपरिहार्य सीट नहीं रहने के बावजूद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी जी को विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता दी है. परंतु सवाल है कि पहले से ही राबड़ी देवी जी को पूर्व मुख्यमंत्री की सुविधा मिल रही है और अब उन्हें विपक्ष के नेता के तौर पर भी सुविधा मिलेगी.
नीरज कुमार ने कहा कि बिहार विधान परिषद में राजद के सदस्यों में कहीं ज्यादा तालिम प्राप्त किये योग्य लोग हैं परंतु विपक्ष के नेता के रूप में राबड़ी देवी जी का ही नाम भेजा गया. उन्होंने कहा कि राजद पार्टी एक परिवार की पार्टी बनकर रह गयी है. जब भी पद पाने या सुविधा पाने का मौका मिलता है, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का परिवार उस मौके को लपक लेता है. राजद जब सत्ता में पहुंची और उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिला तो लालू पुत्र तेजस्वी प्रसाद सामने आ गए और आज वही विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता भी हैं.
नीरज कुमार ने कहा कि राजद में मुस्लिम समाज से आने वाले अनुभवी, योग्य नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी भी हैं. परंतु राजद के सत्ता में आने के समय सिद्दीकी साहब को न केवल ऐसे विभाग का मंत्री बनाया गया जो अपेक्षाकृत कमजोर विभाग माना जाता है, बल्कि उन्हें पांचवें नंबर पर शपथ भी दिलवाई गई. नीरज ने कहा कि राजद के प्रमुख नेता ऐसे तो अल्पसंख्यकों के नाम पर लंबी-चौड़ी बातें करेंगे परंतु सुविधा और पद देने के नाम उन्हें केवल लालू परिवार ही नजर आता है. उन्होंने कहा कि राजद के नेताओं को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से सिखना चाहिए. आज अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले हारूण रसीद जी लंबे समय से उच्च सदन के उप सभापति पद पर बने हुए है.
राजनीति में अल्पसंख्यकों को हिस्सेदारी नहीं देंगे, 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद कब्रिस्तानों की घेराबंदी नहीं करवायेंगे, मदरसा खोलने पर रोक लगा देंगे, अल्पसंख्यक छात्रों के शैक्षणिक उन्न्यन के लिए वजीफा नहीं देंगे परंतु अल्पसंख्यक प्रेम का नाटक करेंगे. ऐसे में लालू की राजद छद्म अल्पसंख्यक प्रेम का पर्याय बन गई है.
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