जदयू का तेजस्वी के नाम खुला पत्र, कहा- काम नहीं आती ”बबुआगिरी”, राज्यपाल के अधिकारों को पढ़िए

पटना : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने का दावा राज्यपाल के पास पेश करने को लेकर जदयू ने खुला पत्र लिखा है. जदयू ने तेजस्वी यादव को लिखे गये खुले पत्र में कहा है कि ‘लोकतंत्र में ‘बबुआगिरी’ काम नहीं आता. लोकतंत्र, संविधान और मर्यादाओं से चलती है.’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2018 2:04 PM

पटना : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने का दावा राज्यपाल के पास पेश करने को लेकर जदयू ने खुला पत्र लिखा है. जदयू ने तेजस्वी यादव को लिखे गये खुले पत्र में कहा है कि ‘लोकतंत्र में ‘बबुआगिरी’ काम नहीं आता. लोकतंत्र, संविधान और मर्यादाओं से चलती है.’ साथ ही वर्ष 2005 में बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह द्वारा 22 मई, 2005 का हवाला देते हुए कहा है कि विधानसभा कैसे भंग कर दी गयी थी. उस कार्रवाई को आप क्या मानते हैं? उस समय राजद के पास 91 विधायक थे, जबकि एनडीए के पास 92 और 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन था. मालूम हो कि बाद में राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया था. जदयू ने अपने खुले पत्र में और क्या-क्या लिखा….पढ़ें

माननीय प्रतिपक्ष के नेता, विधानसभा

तेजस्वी यादव जी,

शुक्रवार को आप अपने दल के सभी विधायकों को लेकर राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करनेवाले हैं. परंतु, शायद आपको लोकतंत्र और सरकार बनाने के नियमों का ज्ञान नहीं. सरकार बनाने का दावा पेश करने के पूर्व विधानसभा में वर्तमान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर संख्याबल के द्वारा वर्तमान सरकार गिरानी पड़ती है और इसके बाद नयी सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त होता है.

तेजस्वी जी, लोकतंत्र में ‘बबुआगिरी’ काम नहीं आता. लोकतंत्र, संविधान और मर्यादाओं से चलती है. वैसे इसमें आपका दोष भी नहीं. आपको अनुभव और मेहनत के बिना ना केवल पद, बल्कि संपत्ति भी हासिल हो गयी है. राजनीतिक और पारिवारिक अनुकंपा पर अगर सबकुछ हासिल हो जाए, तो ऐसे में ज्ञान की कमी होना लाजिमी है. वैसे कर्नाटक में सरकार बनने के बाद आपके मन में बालमन की तड़प समझी जा सकती है. परंतु, ऐसे समय किसी चीज को जल्दी पाने की ललक नुकसानदेह है. कहा भी गया है- ‘कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर.समय पाय तरुवर फरै केतक सींचै नीर.’

वैसे, आपके पिताजी लालू प्रसाद जी अभी भ्रष्टाचार के आरोप में सजायाफ्ता हैं. ऐसे में दल के अन्य वरिष्ठ नेताओं से आपको इसकी जानकारी ले लेनी चाहिए. आप लोकतंत्र की हत्या और संविधान के साथ छेड़छाड़ की बात करते हैं, तो क्या वर्ष 2005 में बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह द्वारा 22 मई, 2005 की आधी रात को राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने का हवाला देते हुए विधानसभा भंग कर दी गयी थी. उस कार्रवाई को आप क्या मानते हैं? उस समय राजद के पास 91 विधायक थे, जबकि एनडीए के पास 92 और 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन था. उससमय को आप क्या कहेंगे? बाद में राहत की बात थी कि सुप्रीम कोर्ट ने माननीय राज्यपाल बूटा सिंह के फैसले को असंवैधिक करार दिया था. वैसे, आपके पिताजी को राजनीतिक विषय में बोलने पर अदालत ने रोक लगा दी है, परंतु आप उन्हीं से पूछ लेंगे कि क्या उस समय उसने लोकतंत्र की हत्या नहीं करवाई थी? वैसे, आपको राजभवन जाकर अपनी बात कहने का हक है और मीडिया में जगह पाने के लिए आपके लिए यही एकमात्र उपाय भी है. ऐसे में जब आप आज आपने अपने सभी विधायकों को बुलाया है, तो क्या जेल में दुष्कर्म के मामले में बंद राजवल्लभ यादव को भी अदालत के सक्षम आदेश के बाद बुलाया है?

तेजस्वी जी, आप जिन विधायकों को लेकर राजभवन जा रहे हैं, उनमें 34 विधायक संगीन आपराधिक मामलों में आरोपित हैं. ऐसे में आप लोकतंत्र की रक्षा कैसे करेंगे?

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