पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि समृद्ध इतिहास हमारी सबसे बड़ी पूंजी है. बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है. इसके बदौलत ही सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं और इसमें सफलता मिलती है. सम्राट अशोक कंवेंशन केंद्र में सभ्यता द्वार का लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उक्त बातें कही. उन्होंने परिसर में सम्राट अशोक की धम्म की प्रतीक मूर्ति सहित अशोक स्तंभ का भी लोकार्पण किया. बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड की स्थापना दिवस पर 502 करोड़ से 109 योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले ज्ञान भवन बाद में बापू सभागार और आज सभ्यता द्वार का लोकार्पण होने से यह परिसर पूरी तरह कंपलीट हो गया. इस तरह का भवन अन्य जगहों पर भी बनना चाहिए. ऐसे भवनों के निर्माण से देश-दुनिया में चर्चा होती है. बिहार संग्रहालय की चर्चा दुनिया भर में हो रही है. उन्होंने कहा कि भवनों का निर्माण भूकंपरोधी व अग्निरोधी होना चाहिए. साथ ही नवनिर्मित भवनों में सारा स्ट्रक्चर एक बार ही तैयार कर लेना चाहिए. भवनों में लगने वाला फर्नीचर की व्यवस्था भवन निर्माण के एस्टीमेट में ही होना चाहिए. जिससे उसमें हेरफेर करने की नौबत नहीं आये.
नीतीश कुमार ने कहा कि 10 अप्रैल 2017 को चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरा होने पर ज्ञान भवन में दो दिवसीय विचार विमर्श, दो अक्तूबर 2017 को बापू सभागार का दहेज विरोधी व बाल विवाह के खिलाफ अभियान से उद्घाटन हुआ. सभ्यता द्वार पर महापुरुषों के लिखे संदेश गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है. गंगा पथ बनने के बाद सभ्यता द्वार और खुबसूरत दिखेगा. यह धरती आर्यभट्ट, चाणक्य, चंद्रगुप्त,भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु गोविंद सिंह, वीर कुंवर सिंह जैसे महापुरुषों की रही है. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक कंवेंशन केंद्र में होनेवाले विभिन्न कार्यक्रमों में आनेवाले सहित यहां के लोग भी सभ्यता द्वार को देखेंगे. इसलिए बढ़नेवाले भीड़ का मैनेजमेंट भी करने की जरूरत होगी. साथ ही रेस्टूरेंट को भी शीघ्र तैयार करने की बात कही.
बिहार के गौरवशाली इतिहास की झांकी है सभ्यता द्वार : सुशील मोदी
सभ्यता द्वार के लोकार्पण के मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह प्राचीन बिहार के गौरवशाली इतिहास की झांकी है. भारत को एकीकृत करने वाले चंद्रगुप्त, महान सम्राट अशोक, भगवान बुद्ध के संदेशों से युक्त यह सभ्यता द्वार प्राचीन बिहार की गौरव गाथा का बयान करेगा. किसी राज्य के विकास का पैमाना कानून-व्यवस्था की स्थिति,अच्छी सड़कें और बिजली ही नहीं अच्छे और दर्शनीय भवन भी है. आज भी लोग बिहार आकर गोलघर देखते हैं. विगत 12 वर्षों में बिहार में अनेक आइकोनिक भवन बने हैं, जिनमें राजगीर का कन्वेंशन सेंटर, बिहार म्यूजियम, अरण्य भवन, गांधी मूर्ति, बापू सभागार हैं. आने वाली नस्लें वर्षों-वर्षों तक याद रखेगी कि कोई ऐसी सरकार भी थी जिसने ऐसा काम किया.
मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया, दिल्ली का इंडिया गेट और फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजा की श्रृंखला में ही यह सभ्यता द्वार भी है जो लोगों को बिहार के प्राचीन गौरवशाली पाटलिपुत्र का अहसास दिलायेगा. ढाई हजार साल पहले मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में प्राचीन पाटलिपुत्र को भारत का सबसे बड़ा और पुराना नगर बता कर इसका गौरवगान किया है. सभ्यता द्वार के जरिये आने वाली पीढियां बिहार के गौरावशाली इतिहास को जानेगी, समझेगी.