बिहार : बाढ़ पूर्व तैयारियों पर होते हैं लाखों रुपये खर्च, फिर भी आती है तबाही, 2017 में बाढ़ से 514 लोगों की चली गयी थी जान

पटना : प्रदेश में हर साल बाढ़ से बचाव और राहत के लिए सरकार तैयारी करती है. बारिश के मौसम की शुरुआत और बाढ़ की आशंका से पहले बांध व सड़क की मरम्मती, जल निकासी की व्यवस्था और लोगों को जागरूक करना और महामारी रोकने के लिए दवाओं के इंतजाम आदि पर लाखों रुपये खर्च […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2018 7:43 AM
पटना : प्रदेश में हर साल बाढ़ से बचाव और राहत के लिए सरकार तैयारी करती है. बारिश के मौसम की शुरुआत और बाढ़ की आशंका से पहले बांध व सड़क की मरम्मती, जल निकासी की व्यवस्था और लोगों को जागरूक करना और महामारी रोकने के लिए दवाओं के इंतजाम आदि पर लाखों रुपये खर्च होते हैं. इसके बावजूद बाढ़ आती हैऔर भारी मात्रा में जान-माल की तबाही होती है. पिछले साल 2017 में बाढ़ से करीब 514 लोगों की जान चली गयी थी.
साथ ही सैकड़ों की संख्या में मवेशियों की मौत हो गयी थी. लाखों रुपये की फसल तबाह हो गयी. सड़क, पुल और पुलिया टूट गये. करीब पौने दो करोड़ लोग इससे प्रभावित हुए. 68.80 लाख हेक्टेयर है बाढ़ग्रस्त क्षेत्र :
इस समय बिहार का भौगोलिक क्षेत्र 94.16 लाख हेक्टेयर है. इसमें से बाढ़ग्रस्त क्षेत्र 68.80 लाख हेक्टेयर है. उत्तर बिहार में 44.46 लाख हेक्टेयर और दक्षिण बिहार में 24.46 लाख हेक्टेयर का हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. बिहार में देश का 17.2 फीसदी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र है.
बिहार की मुख्य 12 नदियों की लंबाई :
बिहार की मुख्य 12 नदियों में से गंगा की लंबाई करीब 596.92 किमी, सोन-59.54 किमी, किउल हरोहर-14 किमी, गंडक-511.66 किमी, बूढ़ी गंडक-779.29 किमी, बागमती-464.14 किमी, कमला-190 किमी, घाघरा-132.90 किमी, कोसी अधवारा-637.41 किमी, पुनपुन-37.62 किमी, चंदन-83.18 किमी और महानंदा- 225.33 किमी है.
कितने हुए खर्च
बिहार में साल 2014 में बाढ़ पूर्व 309
योजनाओं पर 298 करोड़ रुपये खर्च हुए. साल 2015 में बाढ़ पूर्व 442 योजनाओं पर 436 करोड़ रुपये खर्च हुए. साल 2016 में बाढ़ पूर्व 302 योजनाओं पर 636 करोड़ रुपये खर्च हुए. वहीं, साल 2017 में बाढ़ पूर्व 317 योजनाओं पर 1206.82 करोड़ रुपये खर्च हुए.
हर साल बाढ़
जल संसाधन विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बिहार में बाढ़ आने का मुख्य कारण नेपाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में होने वाली बारिश है.
वहां का पानी बिहार की नदियों में प्रवेश करता है जिससे इन नदियों में अचानक हर साल बाढ़ आ जाती है. कई स्थानों पर नदी का पानी बाढ़ के दौरान तटबंध के ऊपर से बहने लगता है. इससे तटबंध निर्माण का उद्देश्य असफल हो जाता है और बड़े हिस्से में बाढ़ का पानी फैल जाता है. इसलिए राज्य सरकार ने जहां तटबंध नहीं हैं, वहां तटबंध बनाने और जहां बाढ़ का पानी तटबंध को पार कर जाता है, वहां उसे और ऊंचा करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा पानी के हल्के दबाव से भी जहां तटबंध को नुकसान पहुंचता है, वहां इसे और मजबूत करने की योजना है.
28 जिलों में बाढ़ की आशंका : बिहार राज्य
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार राज्य के 28 जिलों को बाढ़ से प्रभावित होने की आशंका रहती है. इनमें से 15 जिलों में हर साल बाढ़ का अधिक खतरा बना रहता है. ये हैं- सुपौल, मधेपुरा, शिवहर, सहरसा, खगड़िया, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर, वैशाली, कटिहार, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय और भागलपुर.

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