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निपाह की तरह और भी हैं खतरनाक ये वायरस, भय से पर्यटकों ने बदला अपना टूर प्लान, केरल से बनायी दूरी

II आनंद तिवारी II यदि शुरुआती स्टेज में ही वायरस का पता लग जाये तो इलाज से पाया जा सकता है काबू पटना : केरल के कोझीकोड में खतरनाक निपाह वायरस से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. इसकी वजह से देश के दूसरे राज्‍यों में भी दहशत का माहौल है. अभी […]

II आनंद तिवारी II
यदि शुरुआती स्टेज में ही वायरस का पता लग जाये तो इलाज से पाया जा सकता है काबू
पटना : केरल के कोझीकोड में खतरनाक निपाह वायरस से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. इसकी वजह से देश के दूसरे राज्‍यों में भी दहशत का माहौल है. अभी कुछ ही दिन बीते हैं, जब बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बीमारी की चपेट में काफी लोग आ गये थे. इस बीमारी से 200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. निपाह वायरस पहला ऐसा वायरस नहीं है, जो जानवरों और पक्षियों से फैलता है, बीते कुछ वर्षों में ऐसी कई बीमारियां देखने को मिलीं, जिनके वायरस पक्षियों से फैले.
एडनेरल हिस्ट्रो प्लाजमोसिस
एडनेरल हिस्ट्रो प्जाजमोसिस नामक वायरस पटना में पहली बार 2017 में आया था. जब चिड़ियाघर का एक केयर टेकर इसकी चपेट में आ गया था. दिल्ली एम्स से लेकर पीएमसीएच तक उसका इलाज चला. इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया था कि एमू व मकाऊ पक्षियों की वजह से यह वायरस फैला था. दोनों पक्षी अफ्रीका में पाये जाते हैं.
एचबी वायरस
बिहार में एड्स से अधिक हेपेटाइटिस बी के कारण मरीजों की मौत हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में भी इसका खुलासा हो चुका है. यह ऐसी बीमारी है, जो बॉडी में एचबी वायरस फैलने के कारण होती है. यह वायरस बॉडी में इंफेक्टेड ब्लड के ट्रांसफर होने या इंफेक्टेड पार्टनर के साथ इंटरकोर्स करने से फैलता है. इसके कारण लिवर में इंफेक्शन फैल जाता है, साथ ही लिवर फेल्योर या कैंसर जैसी स्थिति भी बनने लगती है और मरीजों की मौत हो जाती है.
निपाह वायरस
निपाह वायरस 2001 में वेस्ट
बंगाल के सिलुगुड़ी में सामने आया. 66 लोग इसकी चपेट में आये और 45 लोगों की जान चली गयी.इसके बाद यह बांग्लादेश में 2011 में आया, जिससे 56 लोग चपेट में आये और 50 की मौत हो चुकी थी. इस वायरस से बचाव का तरीका सिर्फ इतना ही है कि चमगादड़ और सुअरों के संपर्क में आने से बचा जाये. इसके अलावा इससे संक्रमित होने वाले रोगी से भी बचाव इसका एक मात्र उपाय है. यह वायरस चिड़िया या चमगादड़ के खाये फलों से भी फैलता है. यह भारत में दस्‍तक दे चुका है.
एच 1 एन 1 वायरस
एच 1 एन 1 वायरस की चपेट में भी बिहार के मरीज आ चुके हैं. इस वायरस से होने वाले स्वाइन फ्लू से बिहार में 7 से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है. जबकि पूरे भारत में 2017 में ही 2 हजार से अधिक मौतें हुई थीं.
किसनुर
फॉरेस्ट वायरस
किसनुर फॉरेस्ट वायरस ने सबसे अधिक महाराष्ट्र में कहर बरपाया है. बिहार के ऐसे दो लोग हैं, जो महाराष्ट्र में नौकरी कर रहे थे. वे इस वायरस की चपेट में आये थे. जनवरी 2016 में किसनुर फॉरेस्ट वायरस से महाराष्ट्र में लोगों के संक्रमित होने की खबर आयी थी. पूरे भारत में अब तक इसकी चपेट में 332 लोग आ चुके हैं, जबकि इनमें से 19 की मौत हो गयी.
मारबर्ग
मारबर्ग वायरस सबसे अधिक खतरनाक वायरस में से एक है. इससे संक्रमित होने पर रक्तस्राव वाला बुखार होता है. इबोला की तरह ही इससे शरीर अकड़ जाता है और शरीर के कई हिस्सों से खून बहना शुरू हो सकता है. यह जानलेवा वायरस है.
हंता वायरस
हंता वायरस भी खतरनाक वायरस की श्रेणी में गिना जाता है. इससे फेफड़ों की बीमारी, बुखार और किडनी तक फेल हो सकती है. हालांकि इस पर काबू पाने के लिए वैक्सीन व दवा का भी निर्माण किया जा चुका है.
बर्ड फ्लू
बर्ड फ्लू के कई ऐसे वायरस हैं जो काफी खतरनाक हैं. इंसान यदि चपेट में आ जाये तो उसकी मौत की आशंका करीब 70 फीसदी तक होती है. यह चिकन के जरिये फैलता है. खास कर लास्सा, जूनिन, क्रिमिआ-कॉन्गो और किसनुर फॉरेस्ट वायरस सबसे खतरनाक है. 2015 में बिहार में यह वायरस दस्तक दे चुका है.
डेंगू
पिछले कुछ वर्षों में पटना सहित पूरे बिहार में डेंगू के मामले भी बढ़े हैं. यह मच्छर के काटने पर शरीर में प्रवेश करता है. डेंगू वायरस की चपेट में बिहार में हर साल 500 से 700 मरीज आते हैं, जिनमें 10 से 15 की मौत हो जाती है.
निपाह वायरस का भय पर्यटकों ने बदला अपना टूर प्लान, केरल से बनायी दूरी
पटना : केरल में फैला जानलेवा निपाह वायरस बिहार के लिए चिंता पैदा कर रहा है. हालांकि, कोझिकोड और बिहार के बीच लगभग 2600 किलोमीटर का फैसला है और वायरस का दायरा इतना बड़ा नहीं है.
इसके बावजूद बिहार का सहम जाना इसलिए तर्कसंगत है. क्योंकि, गर्मियों में बिहार के पर्यटक बड़ी संख्या में केरल मौज-मस्ती करने जाते हैं. एक अनुमान के अनुसार हर साल बिहार से गर्मी में लगभग 5000 से अधिक पर्यटक केरल जाते हैं. अलबत्ता जब से निपाह वायरस की खबर फैली है उसके बाद से 15 से बीच फीसदी पर्यटकों ने केरल जाने का प्लान कैंसिल कर दिया है. जबकि, अन्य ने टूर प्लान बदल दिया है.
कारोबार पर असर पड़ेगा
पर्यटन उद्योग से जुड़े पटना
के टूर ऑपरेटरों का कहना
है कि अगर मामला जल्द नहीं संभला, तो इसका प्रतिकूल असर कारोबार पर पड़ेगा. विजिट बिहार के ट्रेवल कंसलटेंट प्रकाश चंद्र ने बताया कि इस साल भी 600 पर्यटकों ने टूर पैकेज से केरल में छुट्टी मनाने के लिए बुकिंग करा रखी थी.
लेकिन, वायरस की खबर के बाद इसमें से दस फीसदी पर्यटकों ने अपना टूर प्लान रद्द कर दिया है. कई ने टूर प्लान बदल दिया है. यह साल प्राकृतिक पर्यटन के लिहाज से काफी अहम है. क्योंकि, 12 साल बाद केरल के मुन्नार में नीलकुरिंजी फूल खिल रहा है और कई सारे पर्यटक ने अपनी बुकिंग करवा रखी है.
उम्मीदों पर पानी
एसोसिएशन ऑफ डोमेस्टिक टूर ऑपरेटर ऑफ इंडिया के सदस्य राजेश कुमार ने बताया कि पिछले साल की तुलना में केरल जानेवाले पर्यटकों की संख्या में 10 फीसदी इजाफा देखा गया है. लेकिन, निपाह वायरस ने टूर ऑपरेटर और इससे जुड़े लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. पर्यटक अपने टूर प्लान को बदलने पर दबाव डाल रहे हैं, जो टूर ऑपरेटर के लिए सर दर्द हो गया है.
लाखों का नुकसान
बिहार पर्यटन एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि वायरस के कारण जिन ऑपरेटरों ने केरल के लिए बुकिंग कर रखी थी. उसे लाखों रुपये का नुकसान उठना पड़ा है. पटना टूर एंड ट्रेवल्स के प्रमुख एसबीपी वर्मा ने बताया कि केरल की घटना पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है.
एडवाइजरी जारी
केरल पर्यटन विभाग से बिहार के टूर ऑपरेटरों को फोन व मेल के माध्यम से यह जानकारी दी जा रही है कि पर्यटकों के लिए सुरक्षित है. इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. पर्यटक अपने टूर प्लान के अनुसार भ्रमण के लिए बिहार से निकल सकते हैं. इसके अलावा केरल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव व स्वास्थ्य और समाज कल्याण सचिव राजीव सदा नंदन ने भी पत्र लिख कर पर्यटकों के लिए हेल्थ एडवाइजरी जारी किया है.

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