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आयकर ने 25 नेताओं की निगेटिव रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी, कुछ की संपत्ति 10 गुनी तक बढ़ी

हर चुनाव के बाद बढ़ जाती है नेताओं की संपत्ति पटना : हर चुनाव के बाद राजनीतिक माहौल में बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिलता है. साथ ही नेताओं की संपत्ति में भी पहले की तुलना में काफी बदलाव आ जाता है. अधिकतर नेताओं की संपत्ति पिछली बार की तुलना में दो गुनी के […]

हर चुनाव के बाद बढ़ जाती है नेताओं की संपत्ति
पटना : हर चुनाव के बाद राजनीतिक माहौल में बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिलता है. साथ ही नेताओं की संपत्ति में भी पहले की तुलना में काफी बदलाव आ जाता है.
अधिकतर नेताओं की संपत्ति पिछली बार की तुलना में दो गुनी के आसपास या इससे ज्यादा बढ़ जाती है. इसमें कई नेता ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति पांच साल या पिछले चुनाव की तुलना में ही पांच से सात गुनी बढ़ गयी है. ऐसे 25 से ज्यादा नेताओं की निगेटिव रिपोर्ट तैयार कर आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को भेज दी है. अब चुनाव आयोग की तरफ से अंतिम कार्रवाई का इंतजार है.
कई चुनाव हारने वाले या दो नंबर पर रहने वाले नेताओं की संपत्ति में भी इजाफा दर्ज की गयी है. आयकर विभाग ने बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के साथ-साथ दूसरे नंबर पर रहे सभी नेताओं के दायर चुनावी हलफनामा और पिछले चार-पांच साल के दौरान इनकी तरफ से जमा किये गये आयकर रिटर्न की विस्तृत जांच की. इसमें अधिकतर की संपत्ति में बढ़ोतरी पायी गयी, लेकिन दो दर्जन से ज्यादा नेताओं की संपत्ति में पांच से सात गुनी या इससे भी ज्यादा की बढ़ोतरी पायी गयी.
-आयकर विभाग ने बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दायर हलफनामे के साथ ही इनकी आईटीआर की भी की जांच, इसके बाद सामने आयी यह हकीकत
-कई नेताओं की संपत्ति में पिछली बार की तुलना में 5-7 गुनी की बढ़ोतरी की गयी दर्ज, चुनाव आयोग को ऐसे नेताओं की भेजी गयी निगेटिव
रिपोर्ट पर अब कार्रवाई का इंतजार
कुछ की संपत्ति 10 गुनी तक बढ़ी
जिन नेताओं की संपत्ति में औसत से ज्यादा या कई गुनी की बढ़ोतरी दर्जकी गयी है, उसमें सभी दल के लोग हैं. सत्ता दल से लेकर विपक्षी के अलावा कुछ केंद्रीय और राज्य स्तरीय मंत्री भी शामिल हैं. चुनाव में दो नंबर पर रहे कुछ जनप्रतिनिधियों के भी नाम इस सूची में हैं. कुछ विधायकों की संपत्ति में तो एक साल में 10 गुनी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
कुछ ने तो अपने आईटीआर में ही जानकारी गलत दी है, तो कुछ ने अपने हलफनामा में ही अजीब तरीके से जमीन-जायदाद को छिपाने की कोशिश की है. एक विधायक ने अपनी जमीन की कीमत को काफी कम कर दिखा दिया है, जबकि इसका बाजार मूल्य वर्तमान में करोड़ों में है. कुछ ने जमीन की कीमत सरकारी जमीन से भी कम कर बताया है. इस तरह से कई हथकंडे अपनाते हुए कुछ ने जमीन-जायदाद की कीमत को छिपाने की भी जुगत भिड़ायी है.
लेकिन, आयकर की जांच में इनकी कोई जुगत काम नहीं आयी और तमाम हकीकत सामने आ गयी. कुछ विधायकों व जनप्रतिनिधियों को आयकर विभाग ने इस मामले में पूछताछ व शोकॉज भी किया है. जिनके जवाब संतोषजनक नहीं पाये गये, उनके नाम को सूची में शामिल कर इसे भेजा गया है. जांच की यह कार्रवाई चुनाव आयोग के आदेश पर की गयी थी. अब इस रिपोर्ट पर कार्रवाई उसके स्तर पर ही होनी है

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