बोधगया विस्फोट मामला : इंडियन मुजाहिदीन के पांच आतंकी दोषी करार, 31 को सुनायी जायेगी सजा

पटना : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 2013 में बोधगया में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के पांच आतंकवादियों को शुक्रवार को दोषी ठहराया. विशेष अदालत (एनआईए) के न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा ने सभी पांच आरोपितों (इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, मुजीब उल्लाह, उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2018 11:37 AM

पटना : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 2013 में बोधगया में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के पांच आतंकवादियों को शुक्रवार को दोषी ठहराया. विशेष अदालत (एनआईए) के न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा ने सभी पांच आरोपितों (इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, मुजीब उल्लाह, उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन कुरैशी) को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया. अदालत ने इन सभी को सजा सुनाने के लिए 31 मई की तारीख तय की है.

विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नगरी बोधगया में सात जुलाई, 2013 की सुबह एक के बाद एक हुए बम विस्फोट हुए थे, जिसमें कुछ बौद्ध भिक्षुओं समेत बड़ी संख्या में लोग घायल हो गये थे. इस मामले में छठे आरोपित तौफीक अहमद की उम्र 18 साल से कम थी और उसे पिछले साल एक किशोर अदालत द्वारा तीन साल सुधारगृह में रखने का आदेश दिया गया था।.सभी छह आरोपित प्रतिबंधित संगठन सिमी के साथ जुड़े थे और इन सभी पर अक्तूबर, 2013 में पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मुकदमा चल रहा है. ये बम धमाके उस वक्त किये गये थे, जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की एक चुनावी रैली चल रही थी. बचाव पक्ष के वकील सूर्य प्रकाश सिंह ने तर्क दिया था कि एनआईए इस मामले में सीसीटीवी फुटेज पेश करने में नाकाम रही है और मौके पर मौजूद एक सुरक्षा गार्ड किसी भी आरोपित की पहचान नहीं कर सका. इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा ने सभी आरोपितों के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का दावा किया. उन्होंने मुकदमे की सुनवाई के दौरान करीब 90 प्रत्यक्षदर्शियों के दर्ज बयानों का हवाला दिया और कहा कि इससे यह पता चलता है कि ये विस्फोट म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यकों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों पर होनेवाले अत्याचारों का बदला लेने के लिए किये गये थे.

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