पटना : राज्य के विकास में बैंकों की भूमिका बेहद अहम : मुख्यमंत्री
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य के विकास और उन्नति में बैंकों की भूमिका बेहद ही अहम है. सरकारी की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंकों की सक्रियता बहुत जरूरी है. सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने के लिए बैंकों के क्रिया-कलापों को बेहतर करने की आवश्यकता है. राज्य का लगभग पूरा […]
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य के विकास और उन्नति में बैंकों की भूमिका बेहद ही अहम है. सरकारी की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंकों की सक्रियता बहुत जरूरी है. सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने के लिए बैंकों के क्रिया-कलापों को बेहतर करने की आवश्यकता है. राज्य का लगभग पूरा बजट एक
लाख 70 हजार करोड़ रुपये बैंक के माध्यम से ही खर्च होते हैं. इतना बड़ा वित्तीय लेन-देन के बाद भी राज्य के बैंक सीडी
राज्य के विकास…
रेशियो (साख-जमा अनुपात) को सुधारने की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं. उन्होंने बैंकों को निर्देश दिया कि चालू वित्तीय वर्ष में इसे 43.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 फीसदी से ज्यादा करने की कोशिश करें. बैंक सूबे के जमा पैसे से विकसित राज्य में ऋण देने का काम करते हैं. सूबे के पैसे से दक्षिण और पश्चिम के राज्यों में ऋण बांटे जाते हैं. तभी वहां का सीडी रेशियो 100 फीसदी से भी ज्यादा है. राज्य की वार्षिक साख योजना (एसीपी) में उपलब्धि 90.85 प्रतिशत दर्ज की गयी है.
बैंकों को वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान एक लाख 10 हजार करोड़ ऋण वितरण का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें 99 हजार 93 करोड़ रुपये ऋण का वितरण किया गया. हालांकि बीते वित्तीय वर्ष में एसीपी की उपलब्धि 87.91 प्रतिशत ही रही थी. इसकी तुलना में इस बार बेहतर प्रदर्शन करने को लेकर सीएम ने बैंकों की सराहना करते हुए कहा कि इसे ज्यादा बेहतर किया जा सकता है. चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित एसीपी एक लाख 30 हजार करोड़ में शत-प्रतिशत खर्च करने को कहा.
बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए सीएम ने कहा कि छोटे या सामान्य लोगों को ऋण देने में बैंक काफी आनाकानी करते हैं, लेकिन अमीर या बड़े लोगों को हजारों करोड़ रुपये का ऋण भी आसानी से दे देते हैं और यही लोग बैंक के रुपये लेकर चंपत हो जाते हैं. जितने भी बैंक के बड़े घोटाले हुए हैं, वे इन्हीं बड़े लोगों को ऋण देने के कारण हुए हैं. छोटे लोन की वसूली तो बहुत टाइट तरीके से होती है, जबकि बड़े लोन लेने वाले आसानी से फरार हो जाते हैं.
सीएम ने नोटबंदी का समर्थन करते हुए कहा कि इसका जितना लाभ मिलना चाहिए, उतना लाभ बैंकों की कार्यप्रणाली के कारण नहीं मिल पाया. नोटबंदी के दौरान प्रतिबंधित मुद्रा को किस-किस तरह से जुगत लगाकर जमा करा दिये गये थे. उन्होंने कहा कि बैंकों का काम काफी बढ़ा है. इसलिए माइक्रो स्तर पर इसकी मॉनीटरिंग करने की जरूरत है.
ग्राहक सेवा प्रतिनिधियों का करवाये जिला स्तर पर सत्यापन
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में आम लोगों को बैंकिंग सुविधा मुहैया कराने के लिए ग्राहक सेवा केंद्र खोले जा रहे हैं. इन केंद्रों से सामाजिक सुरक्षा के तहत सभी पेंशन योजनाओं का क्रियान्वयन होता है. परंतु कई स्थानों से यह शिकायत मिल रही है कि गरीब महिलाओं को छह हजार के स्थान पर तीन हजार रुपये यह कहते हुए दिये जाते हैं कि इतने रुपये ही सरकार से आये हैं. जबकि उनसे कागज पर छह हजार की राशि पर ठप्पा लगवाया जाता है. कुछ बैंक वालों की इस तरह की हरकत से सरकार की छवि खराब होती है. बैंक वालों के लिए यह आवश्यक है कि बैंकिंग एजेंट बहाल करने से पहले इनका सत्यापन जिला में करवा लें. ग्राहक सेवा केंद्र का गठन करने की सूचना जिला प्रशासन को जरूर दें.
महीनों बैंकों में पड़े रहते योजनाओं के रुपये
सीएम ने कहा कि सरकार की अधिकतर योजनाओं में अब आरटीजीएस के माध्यम से राशि सीधे लाभुकों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती हैं. परंतु बैंकों में महीनों तक योजनाओं के रुपये पड़े रहते हैं, डीबीटी के तहत ये संबंधित लोगों के खातों में नहीं पहुंचते हैं. कोसी त्रासदी और पिछले साल आयी बाढ़ के दौरान 38 लाख परिवारों को छह-छह हजार रुपये उनके खातों में ट्रांसफर करने में काफी समस्या आयी थी. इससे योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाता है. मुख्यमंत्री ने हाल में हुई अरवल की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि बैंक अधिकारी को गोली मारने वाले की पहचान कर ली गयी है. जल्द ही सब की गिरफ्तारी होगी. इस मामले कुर्की-जब्ती की कार्रवाई भी जल्द होगी. राज्य में औद्योगिक सुरक्षा बल का गठन कर लिया गया है और जल्द ही यह काम करने लगेगा. बैंकों की सुरक्षा का हर तरह से बंदोबस्त किया गया है.
जब तक नहीं मिलेगा विशेष दर्जा, कोई पूंजी नहीं लगायेगा
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार लैंड ब्लॉक स्टेट है. ऐसे में जब तक इसे विशेष दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक यहां कोई पूंजी नहीं लगायेगा. ऐसे में बैंकों को ही आगे बढ़-चढ़ कर काम करने की जरूरत है. बिहार का विकास 10 वर्ष में दो गुना हुआ है. यहां हजार-500 करोड़ वालों की संख्या कम है. जो भी विकास हुआ है, वह निचले स्तर से हुआ है. ऐसे में विशेष दर्जा की अहमियत काफी बढ़ जाती है. आज मुंबई, दिल्ली में जो सामान मिलते हैं, वहां यहां मिलता है. बैंक साथ दे, तो विकास की रफ्तार काफी बढ़ जायेगी.
बिहार के बैंकों में जमा होने वाले रुपये विकसित राज्यों के कल्याण में किये जा रहे खर्च
बैंकों को चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सीडी रेशियो 50% से ज्यादा करने का सीएम ने दिया निर्देश
साधारण लोगों को आसानी से ऋण देने के िलए सीएम ने बैंकों का किया आह्वान