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नीतीश कुमार आज राजस्थान के बांसवाड़ा में करेंगे सभा

पटना : समाजवादी आंदोलन से जुड़े नेताओं के बड़े वैक्यूम को भरने की दिशा में जदयू ने चौतरफा प्रयास शुरू कर दिया है. जहां-जहां समाजवादी आंदोलन का गढ़ रहा है, वहां पर जदयू ने संगठन को फिर से खड़ा करने का काम शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2018 7:08 AM
पटना : समाजवादी आंदोलन से जुड़े नेताओं के बड़े वैक्यूम को भरने की दिशा में जदयू ने चौतरफा प्रयास शुरू कर दिया है. जहां-जहां समाजवादी आंदोलन का गढ़ रहा है, वहां पर जदयू ने संगठन को फिर से खड़ा करने का काम शुरू कर दिया है.
इसी कड़ी में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजस्थान के बांसवाड़ा में बुधवार को जनसभा को संबोधित करने वाले हैं. इसके लिए वे मंगलवार की दोपहर राजस्थान के लिए प्रस्थान करेंगे. मंगलवार को वे उदयपुर पहुंचेंगे और वहीं रात्रि विश्राम करेंगे. बुधवार को वे सड़क मार्ग से बांसवाड़ा पहुंचेंगे और सभा को संबोिधत करेंगे.
बांसवाड़ा में स्व मामा बालेश्वर दयाल से जुड़े समाजवादियों के बीच वे बड़ी सभा को संबोधित करेंगे. मामा बालेश्वर दयाल ने नशा, बहुविवाह और अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन किया था. नीतीश कुमार ने भी बिहार में पूर्ण शराबबंदी और दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ आंदोलन चलाया है. लड़कियों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए अलग से राशि का प्रावधान किया है. इससे देश में उनकी अलग छवि बनी है.
शरद यादव के कार्यकाल में सुप्त अवस्था में चली गयी पार्टी को नीतीश कुमार फिर से जीवित करना चाहते हैं. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बताया कि इसको लेकर उन्होंने चौतरफा प्रयास शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि चुनाव में हमारे कितने उम्मीदवार जीतते हैं.
चूंकि मुलायम सिंह और लालू प्रसाद की गैरहाजिरी के बाद समाजवादी आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा इस समय नीतीश कुमार ही हैं. अपनी जो पुरानी समाजवादी पार्टी हुआ करती थी, विचारों पर दृढ़ रहती थी. उस समय राम मनोहर लोहिया ने जनसंघ के साथ चुनाव लड़ा था.
कम्युनिस्टों के साथ मिलकर भी वे चुनाव में उतरे थे. इस प्रकार हमारे जो वैचारिक इश्यू हैं, चाहे धर्मनिरपेक्षता हो, चाहे समाजवाद हो, उसको हमने पकड़ लिया है. उसको हम छोड़ेंगे भी नहीं और उसके साथ समझौता भी नहीं करेंगे.
समाजवादी विचारधारा वाले राज्यों में जदयू ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है. त्यागी ने बताया कि लोहिया और कर्पूरी के बाद स्व मामा बालेश्वर दयाल का नाम आता है. वह सांसद भी रहे और आदिवासी इलाके के सबसे बड़े नेता रहे. मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान से जुड़े इस क्षेत्र से चार-पांच समाजवादी सांसद जीत कर आते थे. साथ ही इन क्षेत्रों से 10-12 विधायक भी हुआ करते थे.
उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार इसके पहले भी तीन बार बांसवाड़ा आ चुके हैं. यह समाजवादियों का गढ़ रहा है. बांसवाड़ा से तीन-चार विधायक होते थे. पुराना आंदोलन खत्म हो गया तो जदयू इसी को फिर से जीवित करने का काम कर रहा है. बांसवाड़ा में स्व दयाल की समाधि को भील आश्रम के रूप जाना जाता है. उनका प्रभाव क्षेत्र राजस्थान के दानपुर, कुशलगढ़ और बागीदौरा क्षेत्रों में काफी रहा है. इसके पहले नीतीश कुमार मामा बालेश्वर दयाल की पुण्यतिथि पर पार्टी की ओर से मध्यप्रदेश के पबनिया गांव में आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए गये थे.
जदयू की कोशिश, समाजवादियों का आधार
राजस्थान से मामा बालेश्वर दयाल 1978 में राज्यसभा के सदस्य रहे थे. आदिवासी समाज उनको भगवान की तरह मानता है. राजस्थान में नीतीश कुमार खुद समाजवादियों के बीच जाकर एक संदेश देना चाहते हैं. इसके पहले भी नीतीश कुमार बांसवाड़ा की तीन बार यात्रा कर चुके हैं. उन्होंने अलग-अलग राज्यों में पार्टी विस्तार की जिम्मेदारी पार्टी के शीर्ष नेताओं को सौंपी है.
लक्ष्यद्वीप : जदयू ने लक्ष्यद्वीप में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद आरसीपी सिंह ने हाल ही वहां का दौरा किया है. त्यागी ने बताया कि 1967 से लक्ष्यद्वीप से पीएम सईद चुनाव लड़ते रहे हैं. उनको 2004 के लोकसभा चुनाव में जदयू के डाॅ पी पुकुनिकोया ने हराया था. उनके ही पुत्र डाॅ सादिक को जदयू ने अपना प्रत्याशी बनाया है.
मणिपुर : त्यागी ने बताया कि मणिपुर में 1952 और 1962 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी बैकग्राउंड के रिशिंग केसिंग लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं. 1990 में जनता दल के बीडी बेहरिंग राज्यसभा के लिए चुने गये थे. उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा उपचुनाव में जदयू के डब्ल्यू कुलाबिंदु सिंह चुनाव जीते थे. जदयू मणिपुर से भी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहा है.
अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार : त्यागी ने बताया कि जदयू मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीगढ़ में वैसे क्षेत्रों की तलाश में जुटा है, जहां पर समाजवादी आंदोलन की जड़ें मजबूत हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ चुनाव जीतना उनका मकसद नहीं है. देश में समाजवादियों को फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है.

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