पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत पिछले 20 वर्षों से बंद पड़ी बरौनी खाद कारखाने के मुख्य प्लांट का कार्य फ्रेंच कंपनी (ज्मबीदपच) टेक्नीप को 18 मई, 2018 को अवार्ड कर दिया गया है.सात हजार करोड़ की लागत से कारखाने का पुनरुद्धार कार्य निर्धारित समय जनवरी, 2021 में पूरा हो जायेगा तथा मई, 2021 से नीम कोटेट यूरिया का उत्पादन शुरू हो जायेगा. खाद कारखाने का पुनरुद्धार कर रही कंपनी हिंदुस्तान उर्वरक व रसायन लि. (एचयूआरएल) के प्रबंध निदेशक एके गुप्ता ने आज उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से मिल कर कार्य की प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
सुशील मोदी ने बताया कि इस कारखाने के चालू होने से बिहार-झारखंड के लाखों किसानों को जहां आसानी से यूरिया की आपूर्ति संभव हो जायेगी. वहीं, 1500 लोगों को प्रत्यक्ष तथा 10 हजार से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार भी मिलेगा. पुराने कारखाने की जमीन का समतलीकरण और स्क्रैप उठाने का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. निर्माण कार्य के लिए पानी व बिजली की आपूर्ति शुरू कर दी गयी है.
उन्होंने कहा कि खाद कारखाने का पुनरुद्धार कार्य समय पूरा हो इसके लिए एचयूआरएल को राज्य सरकार पूर्ण सहयोग कर रही है. 220 करोड़ के स्टांप शुल्क को माफ कर दिया गया है. निर्धारित 36 महीने में पुनरुद्धार कार्य पूरा हो जायेगा. इस कारखाने से प्रतिदिन 3,850 टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा.
मालूम हो कि 2016 में केंद्र सरकार ने गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) और सिंदरी (झारखंड) के साथ ही बिहार के दो दशक से बंद पड़े बरौनी खाद कारखाने के पुररुद्धार का निर्णय लिया. पुनरुद्धार का जिम्मा जून, 2016 में गठित हिंदुस्तान उर्वरक व रसायन लि. को दी गयी.