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पटना : मेडिकल स्टोर में छापेमारी, नकली दवा और इंजेक्शन बरामद, पांच गिरफ्तार

बोरिंग रोड में मेडिकल स्टोर पर बिक रही थीं नकली दवा व इंजेक्शन पटना : राजधानी के व्यस्ततम इलाके बोरिंग रोड में भी डुप्लीकेट दवा व इंजेक्शन की खुलेआम बिक्री हो रही है. बुद्धा कॉलोनी थाने की पुलिस ने न्यू सुपर औषधि मेडिकल दुकान पर छापेमारी कर 60 पीस हेपामर्ज इंजेक्शन और 20 डब्बा शेलकल […]

बोरिंग रोड में मेडिकल स्टोर पर बिक रही थीं नकली दवा व इंजेक्शन
पटना : राजधानी के व्यस्ततम इलाके बोरिंग रोड में भी डुप्लीकेट दवा व इंजेक्शन की खुलेआम बिक्री हो रही है. बुद्धा कॉलोनी थाने की पुलिस ने न्यू सुपर औषधि मेडिकल दुकान पर छापेमारी कर 60 पीस हेपामर्ज इंजेक्शन और 20 डब्बा शेलकल टेबलेट बरामद किया है. पुलिस ने दुकान में ताला जड़ दिया है.
वहीं मेडिकल स्टोर के मालिक हरविंदर सिंह और दुकान में काम करने वाले राजेश कुमार, राहुल कुमार, सूरज कुमार, राज कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पूछताछ में पता चला कि पीरबहोर इलाके से डुप्लीकेट दवाओं को खरीदा गया था. इसके बाद पुलिस ने निशानदेही पर पीरबहाेर इलाके में कई गोदामों पर छापेमारी की लेकिन डुप्लीकेट दवा बरामद नहीं हुई. पुलिस दाेबारा पूछताछ कर रही है. बड़े खुलासे के लिए गहरी छानबीन कर रही है.
दवा कंपनी के फील्ड ऑफिसर ने दर्ज कराया मामला
हेपामर्ज इंजेक्शन और शेलकल दवा कंपनी की तरफ से पटना में ब्रांड प्रोडक्शन सर्विस लिमिटेड के तहत फील्ड ऑफिसर का काम देख रहे अंजनी कुमार को इस बात की जानकारी मिली थी कि उनकी कंपनी की डुप्लीकेट दवा और इंजेक्शन न्यू सुपर औधषि मेडिकल दुकान में बेची जा रही है.
इस पर अंजनी कुमार ने गोपनीय तरीके से इसका पता लगाया और फिर सूचना सही पाये जाने पर बुद्धा कॉलोनी पुलिस को जानकारी दी. अधिकारियों के निर्देश पर दुकान में छापेमारी की गयी. इस दौरान दवा और इंजेक्शन पकड़े गये. पुलिस दवा का सेंपल जांच के लिए भेजेगी. वहीं दुकान में ताला लगा दिया गया है.
शातिर हैं डुप्लीकेसी से जुड़े लोग
डुप्लीकेसी के धंधे से जुड़े लाेग बहुत ही शातिर हैं. इसका उदाहरण मंगलवार को हुई छापेमारी के दौरान देखने को मिला. दरअसल मेडिकल स्टोर से जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा, उन्होंने सही जानकारी नहीं दी.
मेडिकल दुकानदार से पूछा गया था कि उन्होंने दवा कहां से लायी, इस पर पीरबहोर इलाके के कुछ गोदाम का नाम लिया गया था. पुलिस ने तत्काल पीरबहोर इलाके में छापेमारी की लेकिन वहां से डुप्लीकेट दवा नहीं मिली. पुलिस तीन घंटे तक छानबीन करती रही. लेकिन पुलिस को गुमराह कर दिया गया. दवा की सप्लाई जहां से हुई थी, उसकी सही जानकारी नहीं दी गयी और दवा माफियाओं को डुप्लीकेट दवा को छिपाने का मौका मिल गया. पुलिस की जांच अभी जारी है.
राजधानी में बड़े पैमाने पर हो रही है दवा की डुप्लीकेसी
राजधानी में बड़े पैमाने पर दवा-इंजेक्शन की डुप्लीकेसी हो रही है. एक्सपायरी दवाओं को खरीद कर नयी पैकेजिंग की जा रही है. दवाओं के रैपर भी प्रिंट कराये जा रहे हैं.
इस पूरे फर्जीवाड़े का बड़ा नेटवर्क है, जिसके मुख्य कर्ता-धर्ता नहीं पकड़े जाते हैं. पुलिस और औषधि विभाग इस फर्जीवाड़े के धंधे से जुड़े छोटे लोगों को ही पकड़ पाती है. माफिया हत्थे नहीं चढ़ते हैं. यही वजह है कि छापेमारी के बावजूद इन धंधेबाजाें का नेटवर्क ध्वस्त नहीं हो रहा है.

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