पटना : नगर निकायों की योजनाओं में अब नहीं होगी लेट-लतीफी

पटना : शहरी निकायों में नाली-गली पक्कीकरण के छोटे बजट की योजनाओं को पूरा करने में लेट-लतीफी नहीं होगी. राशि कम होने के चलते टेंडर होने में विलंब होता था. इसको देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग ने साढ़े सात लाख तक की योजनाओं का काम विभागीय स्तर पर ही कराने की सहमति दी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2018 8:06 AM
पटना : शहरी निकायों में नाली-गली पक्कीकरण के छोटे बजट की योजनाओं को पूरा करने में लेट-लतीफी नहीं होगी. राशि कम होने के चलते टेंडर होने में विलंब होता था. इसको देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग ने साढ़े सात लाख तक की योजनाओं का काम विभागीय स्तर पर ही कराने की सहमति दी है.
अब निकाय स्थानीय स्तर पर ही विभागीय काम करा सकेंगे. प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने आदेश जारी कर कहा है कि राज्य वित्त आयोग, केंद्रीय वित्त आयोग एवं मुख्यमंत्री शहरी नाली-गली पक्कीकरण निश्चय योजना की राशि से ली जाने वाली 7.50 लाख तक की योजनाएं अब विभागीय रूप से भी करायी जायेंगी. हालांकि, यह शर्त रखी गयी है कि संबंधित नगर निकाय कर्मियों व संसाधन की उपलब्धता को ध्यान में रख कर ही ऐसी योजनाओं को विभागीय रूप से या निविदा के माध्यम से कराने पर निर्णय लेंगे.
एक कनीय अभियंता के िजम्मे तीन से अधिक योजनाएं नहीं
प्रधान सचिव ने कहा है कि विभागीय रूप से ली जाने वाली ऐसी योजनाओं का काम स्थायी तकनीकी कर्मचारी जैसे कनीय अभियंता के माध्यम से ही कराया जायेगा.
एक समय में अधिक से अधिक दो या तीन योजनाएं ही एक कनीय अभियंता को कार्यान्वयन के लिए दी जायेगी. एक स्कीम के लिए दिये गये एक एडवांस के सामंजन के बाद ही दूसरा एडवांस दिया जायेगा. संविदा पर नियोजित कनीय अभियंता से विभागीय कार्य नहीं कराया जायेगा.
मुख्यमंत्री निश्चय योजना में मिलेगा फायदा : विभाग के इस निर्णय का मुख्यमंत्री शहरी नाली-गली पक्कीकरण निश्चय योजना को फायदा मिलेगा. इस योजना के तहत निकायों के वार्ड स्तर से कच्ची गलियों एवं नालियों का पक्कीकरण किया जाना है.
योजना में छोटी-छोटी कच्ची गलियों व नालियों का भी कार्य कराया जाना है. छोटी राशि व निविदा की लंबी प्रक्रिया होने की वजह से ठेकेदार इसमें रुचि नहीं लेते. इसको देखते हुए नगर निकायों को विभागीय कार्य का विकल्प दिया गया है. पंचायती राज विभाग में भी जिला परिषद व पंचायत समिति स्तर पर 7.50 लाख रुपये तक की योजनाएं के लिए विभागीय कार्य का विकल्प उपलब्ध है.

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