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अब भी अधिकतर बैंक जमा नहीं ले रहे सिक्के, आरबीआई का भी डर नहीं

हर बैंक अपनी अलग-अलग मजबूरी बता रहा है, बैंकों को आरबीआई का भी डर नहीं सुबोध कुमार नन्दन पटना : छोटे सिक्के नहीं स्वीकार करने पर सख्त कार्रवाई करने का एलान भारतीय रिजर्व बैंक कर चुका है, लेकिन इसका असर न तो सार्वजनिक बैंकों और न ही निजी बैंकों पर देखने को नहीं मिल रहा […]

हर बैंक अपनी अलग-अलग मजबूरी बता रहा है, बैंकों को आरबीआई का भी डर नहीं
सुबोध कुमार नन्दन
पटना : छोटे सिक्के नहीं स्वीकार करने पर सख्त कार्रवाई करने का एलान भारतीय रिजर्व बैंक कर चुका है, लेकिन इसका असर न तो सार्वजनिक बैंकों और न ही निजी बैंकों पर देखने को नहीं मिल रहा है.
प्रभात खबर ने रविवार को ‘सिक्के की एेसी दुर्गति देखी नहीं कभी’ शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की थी. इसमें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक (बिहार-झारखंड) एनपी टोपनो ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि अगर कोई बैंक सिक्के स्वीकार करने से इन्कार करता है, तो बैंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. प्रभात खबर ने सोमवार को इस आदेश की जमीनी पड़ताल की और लगभग 10 बैंकों का जायजा ग्राहक के रूप में लिया. पेश है प्रभात खबर की यह विशेष रिपोर्ट.
बैंक में सिक्कों के लेन-देन का हाल
इलाहाबाद बैंक, कोतवाली थाना
आदमी नहीं हैं सिक्के स्वीकार
करने को : कोतवाली थाना स्थित इलाहाबाद बैंक की मुख्य शाखा के 13 नंबर काउंटर पर तैनात महिला कर्मचारी ने बताया कि आप 16 नंबर काउंटर पर मिलें. वहां जाने पर फिर 15 नंबर पर भेजा गया, जहां अधिकारी ने कहा कि आदमी नहीं है इसलिए सिक्के जमा नहीं किये जा रहे हैं.
बैंक ऑफ बड़ौदा
सिक्के जमा करने पर चार्ज लगेगा, पर कितना यह पता नहीं : डाकबंगला चौराहा स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा के कैश काउंटर पर जाने पर बताया गया कि तीन नंबर काउंटर पर जाइए. सिक्के तो स्वीकार किये जा रहे हैं लेकिन चार्ज देना पड़ेगा. चार्ज कितना देना होगा. इस सवाल पर अधिकारी ने बताया कि पता नहीं.
आईसीआईसीआई बैंक, बोरिंग रोड
बोल्ट में भरे पड़े हैं सिक्के : बोरिंग रोड चौराहा स्थित आईसीआईसीआई बैंक के तीन नंबर काउंटर पर तैनात महिला कर्मचारी ने कहा कि पहले से ही यहां बहुत ज्यादा सिक्के जमा हैं. बोल्ट में सिक्के भरे पड़े हैं. रखने की जगह तक नहीं है. इस कारण सिक्के स्वीकार नहीं किये जा रहे हैं.
स्टेट बैंक की मुख्य शाखा, गांधी मैदान
सिक्कों को जमा करना है, तो मौर्यालाेक जाइए : गांधी मैदान स्थित स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के कैश काउंटर पर तैनात कर्मचारी ने बताया कि सिक्काें को जमा करना है, तो मौर्यालोक शाखा जाइए. वहां विशेष काउंटर खुला है. वहां जमा करें. इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है.
केनरा बैंक, सहदेव महतो मार्ग
एक दिन एक हजार सिक्के :
सहदेव महतो मार्ग स्थित केनरा बैंक के कैश काउंटर पर तैनात महिला अधिकारी ने बताया कि सिक्के स्वीकार किये जा रहे हैं, लेकिन हर दिन एक हजार रुपया ही जमा होगा. इसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जा रहा है.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, मीठापुर
जब जगह खाली हो जायेगी, तो सूचित किया जायेगा : मीठापुर बस अड्डा रोड स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी ने सिक्के जमा करने से पहले तो साफ इन्कार कर दिया. सिक्के को चेस्ट में भेजना है लेकिन चेस्ट अधिकारी भी उसे नहीं ले जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि जब जगह खाली हो जायेगी तो आपको सूचित कर दिया जायेगा.
देना बैंक, मौर्यालाेक परिसर सिक्के नहीं ले पाऊंगा : मौर्यालाेक
परिसर स्थित देना बैंक के अधिकारी ने कहा कि यहां सिक्के जमा नहीं लिये जा रहे हैं. मैं सिक्के नहीं ले पाऊंगा. रिजर्व बैंक को क्या है. उसे तो सिक्का लेना नहीं है. जाइए रिजर्व बैंक में जमा कर दीजिये. इस तरह बैंक के अधिकारी ने सिक्के लेने से इन्कार कर दिया गया है.
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, अशोक राजपथ
क्यों भटक रहे हैं इधर-उधर : अशोक राजपथ स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा के कैश काउंटर पर तैनात कर्मचारी ने कहा कि यहां सिक्के जमा नहीं किये जा रहे हैं. सिक्के के लिए रिजर्व बैंक में विशेष काउंटर खुला है, वहां जाकर सिक्के जमा कर दें. इधर-उधर क्यों भटक रहे हैं.
पंजाब नेशनल बैंक, बोरिंग रोड चौराहा
पैकेट बना कर लाना होगा : बोरिंग रोड चौराहा स्थित पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक नवीन कुमार ने बताया कि यहां छोटे सिक्के स्वीकार किये जा रहे हैं. वैसे तो एक हजार स्वीकार कर रहे हैं लेकिन अगर किसी को अधिक जमा करना होता है, तो उसे भी स्वीकार कर रहे हैं. इसके लिए ग्राहक को घर से सौ-सौ रुपये का पैकेट बना कर लाना अनिवार्य है.
एक्सिस बैंक, डाकबंगला रोड
विशेष जानकारी नहीं : डाकबंगला रोड स्थित एक्सिस बैंक के कर्मचारी ने बताया कि एक दिन में हजार रुपये के सिक्के अपने खाते में जमा कर सकते हैं. अधिक सिक्के जमा करना हो, तो कुछ दिन इंतजार कीजिए. जब रिजर्व बैंक का हवाला दिया गया, तो कर्मचारी ने बताया कि मुझे विशेष जानकारी नहीं है.
निचले तबके के लोगों के लिए वित्तीय साक्षरता जरूरी
पटना : समाज के निचले तबके के लोगों के लिए वित्तीय साक्षरता जरूरी है क्योंकि वे अपने रुपये-पैसे को बुद्धिमता से प्रयोग कर सकें. इसी बात को ध्यान में रख कर रिजर्व बैंक वित्तीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन समय-समय पर करता रहता है. ये बातें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक (बिहार-झारखंड) एनपी टोपनाे ने वित्तीय साक्षरता सप्ताह का उद्घाटन करते हुए कहीं.
रिजर्व बैंक के सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टोपनो ने कहा कि वित्तीय साक्षरता वित्तीय समृद्धि की आेर पहला कदम है. वित्तीय साक्षरता मांग पक्ष की बाधाओं को दूर करने में सहायता करती है, क्योंकि यह ग्राहकों को जागरूक बनाती है और उन्हें बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम बनाती है.
हर वर्ग के लिए वित्तीय साक्षरता जरूरी है क्योंकि इन दिनों पढ़े-लिखे लोग भी करोड़ रुपये की लाॅटरी निकलने के नाम पर लाखों रुपये गंवा बैठ रहे हैं. टोपनो ने बताया कि बिहार में वित्तीय साक्षरता की दर 61.6 फीसदी है. लोगों को यह बताने की जरूरत है कि खाता कैसे खोलें, पैसे जमा कैसे कर सकते हैं. इसके अलावा लोन कैसे प्राप्त कर सकते हैं. पांच प्रचार गाड़ियों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया.
सिक्के जमा करने की कोई लिमिट नहीं
अधिक सिक्कों को समस्या के रूप में नहीं लेता है रिजर्व बैंक
पटना : भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिश है कि मार्केट में अधिक-से-अधिक सिक्के जारी किये जाएं. इस लिए रिजर्व बैंक बैंकों के माध्यम से सिक्के का वितरण करवा रहा है.
ये बातें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय (बिहार-झारखंड) निदेशक एन पी टोपनाे ने सोमवार को अपने सभाकक्ष में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं. उन्होंने बताया कि बैंकों में सिक्के जमा करने की कोई लिमिट नहीं है. ग्राहक चाहे तो अपनी सुविधा के अनुसार सिक्के जमा कर सकता है.
हालांकि मर्चेंट लेन-देन के लिए एक हजार रुपये तक के सिक्कों का भुगतान किया जा सकता है. बेशक आज की तारीख में मार्केट में ज्यादा सिक्के जमा हो गये. इसे रिजर्व बैंक समस्या के रूप में नहीं लेता है. बल्कि अच्छी बात के रूप में मानता है.
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक जान बूझकर सिक्कों को बढ़ावा देना चाह रहा है. छोटे नोट 1, 2 और 5 रुपये के नोट बंद कर दिये गये हैं. इनकी लागत मूल्य अंकित कीमत से ज्यादा आती है.
स्पेशल फैक्ट
एक रुपये का नोट छापने में दस रुपये का आता है खर्च. लागत मूल्य अधिक आने के कारण एक रुपये के सिक्के अधिक बनवाये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि करेंसी नोट की आयु कम होती है. एक नोट महज दो-तीन साल ही चल पाता है. जबकि सिक्कों की आयु लंबी होती है.
प्रयास
सिक्कों का चलन बढ़ाने का
क्षेत्रीय निदेशक ने स्पष्ट किया कि सरकार भी सिक्कों को बढ़ावा देना चाहती है. आज हर दिन दो-चार ट्रक सिक्के पटना पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक समय था, जब लोग सिक्के के लिए मारा-मारी करते थे. आज इसका उलटा हो रहा है. लोग सिक्के लेने से दूर भाग रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले तो दस रुपये के सिक्के के बारे में अफवाह फैलायी गयी थी.
उसी तर्ज पर अब छोटे सिक्कों को लेकर अफवाह फैलायी जा रही है. इसमें सोशल मीडिया की भूमिका अहम है. टोपनो ने कहा कि अगर कोई बैंक सिक्के स्वीकार नहीं करता है, तो आप रिजर्व बैंक को सीधे लिखित या टेलीफोन से भी शिकायत कर सकते हैं. क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि झारखंड में मेरी कोई भूमिका नहीं है.

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