कॉलेजियम प्रणाली पर बरसे केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, कहा – यह लोकतंत्र पर धब्बा
पटना : रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम लोकतंत्र के लिए धब्बा है. उन्होंने कहा कि ‘लोग आरक्षण का विरोध करते हैं, कहते हैं कि यह योग्यता को अनदेखा करता है, लेकिन मुझे लगता है कि कॉलेजियम योग्यता को अनदेखा करता है. एक […]
पटना : रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम लोकतंत्र के लिए धब्बा है. उन्होंने कहा कि ‘लोग आरक्षण का विरोध करते हैं, कहते हैं कि यह योग्यता को अनदेखा करता है, लेकिन मुझे लगता है कि कॉलेजियम योग्यता को अनदेखा करता है. एक चाय विक्रेता पीएम बन सकता है, मछुआरे का बच्चा वैज्ञानिक बन सकता है और बाद में राष्ट्रपति बन सकता है. लेकिन, नौकरानी का बच्चा न्यायाधीश बन सकता है? कॉलेजियम हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है.
People oppose reservation, say it ignores merit but I think collegium ignores merit. A tea-seller can become PM, fisherman's child can become scientist&later President but can a maid's child become judge? Collegium's a blot on our democracy: U Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06) pic.twitter.com/FcsLBpXO9O
— ANI (@ANI) June 6, 2018
न्यायपालिका में खासकर सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में जजों की नियुक्ति में इस सिस्टम में मेरिटोरियस होने के बावजूद वहां जाने का मौका नहीं मिलता. एक तरह से जजों की नियुक्ति नहीं उत्तराधिकारी की नियुक्ति होती है. रालोसपा की ओर से ‘हल्ला बोल-दरवाजा खोल’ अभियान में न्यायिक व्यवस्था का लोकतांत्रिकरण विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उपेंद्र कुशवाहा बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे सभी राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को पत्र लिख कर अभियान में शामिल होने का आग्रह करेंगे.
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में पार्टी के लोगों सहित अन्य लोगों को भी जानकारी दिलाना पार्टी का मुख्य मकसद है. अन्य राज्यों में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जानकारी दी जायेगी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय से यूजीसी को एक मामले में नोटिफिकेशन निकाल कर स्पष्ट करना पड़ा. न्यायपालिका के प्रति लोगों का सम्मान अधिक होने से उसे अधिक जिम्मेवार होना चाहिए. कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुए रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने संगोष्ठी में आये कानून विशेषज्ञों सहित इंटरनेशनल रिलेशन के विशेषज्ञ के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
सेवानिवृत न्यायाधीश घनश्याम प्रसाद ने न्यायिक प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी. कानून विशेषज्ञ बसंत चौधरी ने कहा कि न्याय की प्रक्रिया जटिल है, उसे सरल करने की जरूरत है. कोर्ट का संचालन सही तरीके से नहीं होने से कोर्ट में हाजिरी देने के लिए आनेवाले लोगों का सालाना 10 लाख करोड़ की क्षति होती है. इंटरनेशनल रिलेशन विशेषज्ञ गौतम कुमार झा ने कहा कि देश में पहली बार इस व्यवस्था पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि अगर न्याय मिलने में देरी तो इससे बड़ा अन्याय नहीं हो सकता. कानून विशेषज्ञ प्रत्यूष मणि त्रिपाठी ने कहा कि चुनावी माहौल आने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा ने इस मुद्दे को उठा कर साहसिक कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट में 60 हजार, हाइकोर्ट में 40 लाख व जिला न्यायालय में दो करोड़ 70 लाख मामले लंबित हैं. कॉलेजियम सिस्टम में परिवर्तन को लेकर विधि मंत्रालय में ज्ञापन देने की जरूरत बतायी.