पटना / नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को नयी दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में रहने की अनुमति देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए आंशिक संशोधन करते हुए 12 जुलाई तक राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शरद यादव को वेतन व अन्य भत्ते (हवाई जहाज और रेल टिकट) जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. इसके अलावा शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति आदर्श कुमार और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि राज्यसभा से अयोग्य करार दिये जानेवाली शरद यादव की याचिका पर सुनवाई तेज करे.
Plea challenging Delhi HC order allowing Sharad Yadav to retain official residence: SC partially modified Delhi HC's order, says 'Sharad Yadav won't get salary, allowances & other facilities like air & rail ticket'. SC grants him relief till July 12. (file pic) pic.twitter.com/QwBOesBu5S
— ANI (@ANI) June 7, 2018
Supreme Court asks Delhi High Court to hear and expedite Sharad Yadav's plea challenging his disqualification from Rajya Sabha.
— ANI (@ANI) June 7, 2018
क्या है मामला
शरद यादव और अली अनवर को पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजद से अलग होकर भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाये जाने पर दोनों नेता विपक्षी दल के साथ चले गये थे. इसके बाद जदयू ने राज्यसभा के सभापति से शरद यादव और अली अनवर के खिलाफ पार्टी छोड़ कर विपक्षी दलों के कार्यक्रम में जाने को लेकर राज्यसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की. जदयू की मांग पर कार्रवाई करते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शरद यादव और अली अनवर को चार दिसंबर, 2017 को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया. सदन से अयोग्य करार दिये जाने के फैसले के खिलाफ शरद यादव ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. शरद यादव ने अदालत को बताया कि राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किये जाने के फैसले से पहले उन्हें पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया. जदयू के राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ने शरद यादव की दलील का विरोध करते हुए कहा कि शरद यादव ने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है. उन्होंने स्वयं ही पार्टी छोड़ कर विरोधी दलों के साथ मंच साझा करते हुए पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हुए हैं. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल 15 दिसंबर को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शरद यादव की अयोग्यता पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए उन्हें वेतन, भत्ते लेने के साथ याचिका लंबित होने तक सरकारी आवास में रहने की अनुमति प्रदान कर दी थी. जदयू के राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति आदर्श कुमार और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने शरद यादव के खिलाफ 18 मई को नोटिस जारी किया था.