ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप पसार रहे पांव

मोकामा/बख्तियारपुर/पंडारक : ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों का टोटा है. जिसको लेकर झोला छाप डॉक्टर पांव पसार रहे हैं. खासकर सुदूर टाल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. ग्रामीणों की माने तो उप स्वास्थ्य केंद्र महज बच्चों के टीकाकरण के लिये ही खुलते हैं. पीएचसी जाने में काफी वक्त लग जाता है, वहीं पर्याप्त दवायें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2018 9:34 AM
मोकामा/बख्तियारपुर/पंडारक : ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों का टोटा है. जिसको लेकर झोला छाप डॉक्टर पांव पसार रहे हैं. खासकर सुदूर टाल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है.
ग्रामीणों की माने तो उप स्वास्थ्य केंद्र महज बच्चों के टीकाकरण के लिये ही खुलते हैं. पीएचसी जाने में काफी वक्त लग जाता है, वहीं पर्याप्त दवायें भी नहीं मिल पाती है. मजबूरन लोगों को ग्रामीण चिकित्सकों का शरण लेना पड़ता है. कम पढ़े लिखे ग्रामीणों की यह भी धारना है कि शहर के डॉक्टर महंगा इलाज करते हैं. अधिक खर्च से बचने के लिये भी लोग झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ जाते हैं. अनुभव के अभाव में ग्रामीण चिकित्सक रोगियों का समुचित इलाज नहीं कर पाते. इससे कई लोगों की जाने भी जा चुकी है.
हाल ही में मोकामा थाने में अवैध तरीके से क्लिनिक चला रहे लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कर्म खर्च में ऑपरेशन के चक्कर में एक प्रसूता की मौत हो गयी थी. बाद में मामला तूल पकड़ने पर पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया था. मोकामा के घोसवरी प्रखंड के पंचायतों में में तकरीबन एक सौ झोला झाप डॉक्टरों की प्रैक्टिस चल रही है.
जेनरिक दवायें बेच कर लोगों से पांच से छह गुणा ऊंची कीमत वसूल किया जाता है. पंडारक के टाल इलाके में भी डॉक्टरों से ज्यादा फर्जी डिग्रीधारी चिकित्सक सक्रिय हैं. वह असाध्य रोगों के उपचार का भी दावा करते हैं. इस चक्कर में विशेषज्ञों के पास जाने में काफी देरी हो जाती है. बख्तियारपुर व अथमलगोला के पंचायतों में भी कमोवेश यही हाल है.
मनेर में झोलाछाप चिकित्सकों की चांदी
मनेर. आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग एक से डेढ़ सौ झोलाछाप डॉक्टरों की क्लिनिक है. जहां कम पैसे लेकर मरीजों का इलाज के साथ ही प्रसव और छोटे व बड़े ऑपरेशन भी करते है. भोले भाले गरीब लोग ज्यादा तर इन झोला छाप डॉक्टरों के चुगंल में आकर बहुत कुछ गंवा बैठते है. झोलाछाप अस्पताल के संचालक मुख्य रूप से आशा कार्यकर्ताओं को कुछ कमीशन देकर अपने साथ जोड़कर रखते है.
आशा कार्यकर्ता अशिक्षित व गरीब लोगों को झांसे में लेकर झोला छाप चिकित्सक के अस्पताल में भर्ती करा कर इलाज करवाते है. मनेर में इन दिनों आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से ही झोला छाप चिकित्सकों की चांदी कट रही है.

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