बिहार की नदियां बदल रहीं धारा, अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
पटना : बिहार की नदियों की धारा बदल रही है. इससे उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. हालत यह है कि कई नदी तो नाले में तब्दील होने लगी है. इसका बुरा असर नदियों की तलहटी में रहनेवाले जीव-जंतुओं पर भी हुआ है. दूसरी तरफ भूगर्भीय जल स्तर तेजी से घट रहा है. यदि […]
पटना : बिहार की नदियों की धारा बदल रही है. इससे उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. हालत यह है कि कई नदी तो नाले में तब्दील होने लगी है. इसका बुरा असर नदियों की तलहटी में रहनेवाले जीव-जंतुओं पर भी हुआ है. दूसरी तरफ भूगर्भीय जल स्तर तेजी से घट रहा है. यदि ऐसे ही हालात रहे, तो आनेवाले समय में कृषि प्रधान इस राज्य में सिंचाई का पानी के साथ ही पेयजल का संकट भी पैदा हो जायेगा. पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर बिहार में गंगा के अलावा आठ प्रमुख नदियां बहती हैं. इनमें गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी, कमला बलान, घाघरा, महानंदा व अधवारा समूह की नदियां हैं.
गंगा नदी की बात करें तो नमामि गंगे का प्रोजेक्ट चलाये जाने के बावजूद इसका पानी प्रदूषित हो चुका है. साथ ही वह पटना शहर से दूर होती जा रही है. शहर से यह करीब दो किमी उत्तर की तरफ चली गयी है. साथ ही बड़ी मानी जाने वाली इस नदी में इन दिनों अपेक्षाकृत पानी कम दिख रहा है. कई जगह तो नदी के बीच में ही बालू के टीले दिखने लगे हैं. इस कारण पटना का भूजल स्तर इन दिनों 100 फुट से भी नीचे चला गया है. कोइलवर में कभी यह 40 फुट हुआ करता था, लेकिन इन दिनों 150 फुट से नीचे जा चुका है. यही हाल कमोबेश गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी, कमला बलान, घाघरा, महानंदा और अधवारा समूह की नदियों का भी है.